मिथिलांचल मे महाकवि विद्यापतिक नाम हुनक गीत, अद्यावदि लोकप्रिय अछि। मैथिल समुदाय के अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित आ गौरवान्वित कएनिहार कवि कोकिल विद्यापतिक स्मरण समस्त मिथिलावासी लेल नित्य ' प्रात: स्मरणीयÓ अछि, हृदय सं वंदनीय अछि। मिथिलाक राजनैतिक नेता सं लय क समाजिक कार्यकर्ता धरि अनेकानेक अवसर पर हुनक चित्र पर माल्यार्पण करैत नतमस्तक होइत देखल जा सकैत छथि।दिल्ली, मुंबई, कोलकाता सन महानगर सं लय क मिथिलांचल गामे-गाम महाकविक स्मृति मे पर्व सामारोहक आयोजन प्राय: हरेक साल भरि होइत अछि। हजार आ लाखक संख्या मे दर्शक केर भीड़, भव्य मंच विशाल पंडाल के देखि कोनो अमैथिली भाषी आन्हर सेहो कहि सकैत अछि जे विद्यापति लेल मिथिलांचलक लोक कतेक समर्पित भए हुकना श्रद्घापूर्वक स्मरण करैत अछि। भरि साल मे लाखो-करोड़ो टाका विद्यापति पर्व समारोहक नाम पर भिन्न-भिन्न संस्था द्वारा एकत्रित कए तकरा निर्ममतापूर्वक खर्च कएल जाइत अछि मुदा लाजक विषय ई जे मधुबनी जिला अंतर्गत गाम ''बिसफीÓÓ जतय विद्यापतिक डीह अछि, सरकारी आ सामाजिक उपेक्षा केर ्रकथा स्वयं कहि, समस्त विद्यापति भक्त लोकनिक श्रद्घा आ समर्पण केर पोल खोलि देलक।
कहबाक लेल ''बिसफीÓÓ प्रखण्ड अछि मुदा सुविधाक नाम पर अकिंचन आ खण्ड-खण्ड अछि। जहां धरि विद्यापतिक डीहक सवाल अछि, समस्त भारत वर्षक अमैथिली भाषी जनता इएह बुझैत होएत जे जाहि विद्यापतिक स्मृति मे एहेन भव्य आयोजन मैथिली भाषी द्वारा कएल जाइत अछि, हुनक जन्मस्थली पर हुनक भव्यमंदिर वा विशाल स्मारक सहित हुनक आदमकद प्रतिमा अवश्य होयत। मुदा समस्त मैथिल समुदाय लेल लाजक संग अपमानक विषय सेहो थीक। ककरो ध्यान ओहि गेल हो से बहुत विश्वासक संग कहब मोसकिल। आई जखन बंगालक प्रसिद्घ कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर केर जन्मभूमि पर समस्त सुविधा युक्त आ आधुनिक भवन निर्मित अछि, हुनक एक-एक कीर्ति केर एक-एक नमूना ओतय विद्यमान अछि तथापि हमरा लोकनि विद्यापतिक जन्मस्थान 'बिसफीÓ दिस सँ नजरि फेरि कय बैसल छी।
जहां धरि बिहार सरकारक प्रश्न अछि, मैथिल मुख्यमंत्री रहैत जखन ओकर विकास संभव नहि भेल त आन भाषा-भाषी कोनहुं टा मुख्यमंत्री आ तकर सरकार सं विद्यापतिक डीहक जीर्णोद्घारक आशा केनाई व्यर्थ। वर्तमान सरकार दिन-राति अपन गद्दी सुरक्षित करबाक लेल गुणा-भाग क रहल अछि। तहन एहन स्थिति मे ओ मिथिलांचलक धरोहरि विद्यापतिक डीहक काया कल्प करत से दिवास्वप्न सँ बेसी किछु नहि? प्रश्न इहो अछि जे स्थानीय जनप्रतिनिधि ओहि लेल सरकारक ध्यान आकृष्टï करथि। त सेहो तखनहि संभव होयत जखन एकिह लेल जनआंदोलन हो। आदिकाल सँ सुप्तवस्था मे जदि कोनो टा समुदाय अछिड त से हमरा लोकनिक थीक। सैह कारण अछि जे कोटि-कोटि मैथिली भाषी लोकक अछैत उपेक्षित अछि विद्यापतिक सँ पूर्व हमरा लोकनि हृदय पर हाथ ण आत्मा सँ पूछिी त हमरा लोकनि स्वयं दोखि थिकहुं। जाहि समुदाय में सहस्त्र विद्वान, कवि, कलाकार, अधिकारी, व्यापारी वर्गक लंबा सूचि उपलब्ध हो ओहि समुदाय केर इतिहास पुरूषक जन्मभूमि आ हुकन डीह एना उपेक्षा केर शिकार रहय त सरकार सं बेसी दोख ओहि समस्त समुदाय आ भाषा-भाषी केर अछि, एहि मे कोनहुं टा दू मत नहि....................
मात्र विद्यापित हमर गौरव छथि वा हुनक कीर्ति बखान कएनिहार मिथिलांचलक नेता लोकनिक भरोसे जदि 'बिसफीÓ मे हुनक डीहक जीर्णोद्घार होएबाक रहेैत त कहिया ने भ गेल रहैत । जैं कि नेता लोकनिक कथनी आ करनी मे आदि काल सं असमानता जगजाहिर अछि तें समस्त मैथिली संस्था आ मैथिलजन केर ई कर्तव्य अपना हाथेें करय पड़तनि।
- विपिन बादल
2 टिप्पणियां:
sarwotam....
bahoot dukh bhel ahank e rachna padhi....ki vidyapati dih ke e haal chhain
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