शुक्रवार, अप्रैल 17

के सुनत कुसहा राग


- सुशील देव


कोसीक नेता आई- काल्हि कुसहा राग अलापि रहल छैक। जिनका देखियो, वैह कुसहा राग मे मगन छथि। ताल-मात्राक चुटकी भरि जान नहिं, मुदा तानसेनक बाप बनि रहल छथि। सच कहल जाए त आगामी लोकसभा चुनावक भूत सभहक कपार पर बसि गवैया बना रहल अछि। एहिमे लाचार-बेबस गरीब-गुरबा कोसीक जनता निरीह बांध पर भसियात जानवर जकां एहि बेर कुसहा रागक भूल-भूलैया मे फंसल जा रहल अछि। सभ दलक नेताक लेल एहि बेरक अवसर खास छैक। सच पूछी त देशक पन्द्रहम लोकसभा चुनाव लेल महंगाई, आंतरिक सुरक्षा, आर्थिक नीति वा मंदिर-मस्जिद जाहि तरहक मुद्दा उठायल गेल, ओहि सं एक्को मिसिया कम महत्व एहिठामक कुसहा बांध के नहि छैक।चुनाव समय छै त राजनीतिक दुकान सबकिओ चमका रहल अछि। राज्य सरकार केंद्र पर त केंद्र सरकार के दोषरापण राज्य पर, ई त चलैत आबि रहल अछि। ताहिं एहि बेर नीतीश सरकारक केंद्रक यूपीए सरकार सं शिकायत छैन्ह। लालू, रामविलास आ कांगे्रसी नेताक शिकायत किछु अलग छैन्ह। एनडीए गठबंधनक संयोजक शरद यादवक आरोप रहल छैन्ह जे केंद्र सरकार कोसीक त्रासदी के राष्ट्रीय आपदा घोषित करवा मे अप्पन वादा सं मुकरि रहल छल, तें विना’ा एतेक भेल। आखिर कोन कारण रहल हैत जे बिहारक मुख्यमंत्री नीतिश कुमार कें नेपाल सीमाक कुसहा बांध पर जयबाक अनुमति नहिं देल जा रहल छलै। आखिर कियैक ने स्वयं सोनिया गांधी आ प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह एहि ठामक हालात देखि कोसीक त्रासदी मे के राष्ट्रीय आपदा घोषित करबा मे देरी केलथि। सवाल असंख्य अछि, क्षेत्रक जनता के आईधरि पूरा जबाव नहि भेट रहल छैक। संभव जे नहि भेटै ? अतीतक नींव जदि वर्तमान आ वर्तमानक भरोस पर भविष्यक गप्प कएल जाए त कोसीक संदर्भ मे कोनो वि’ोष गप्प सोचबा मे किनको असोकरज नहि हेतैन्ह, कियैक ने ? स्मरण कएल जाए ओहि समय सहरसाक सांसद रंजीत रंजन आ पूर्व सांसद लवली आनंदक आरोप, जाहि मे दुनू कहने रहैथ जे बांध टूटवा मे कोनो-न-कोनो साजिशक गंध आबि रहल छल, जकरा लेल उच्चस्तरीय जांच होयबाक चाही। ओना कोनहुं टा जांच समिति के रिपोर्ट कोन तरहें तैयार कएल जाइत अछि आ ओकर परिणाम कतेक प्रभावी होइत अछि, से कहबाक जरूरति नहि ?जहन समूचा दे’ा मे चुनावक डुगडुगी बाजि रहल हुअए, त कोसी क्षेत्र आखिर कियैक ओहि सं अलग रहतीह। ताहिं एहि क्षेत्र मे लोकसभा चुनावक तैयारी चरम पर अछि, तं दोसर दिस बांध टूटवा आ बाढ़िक भीषण त्रासदीक के बाद देश-विदेशक राहत सामग्रीक वंदरवांट निर्बाध जारी अछि। फर्जी पीड़ित लाभ उठा रहल अछि आ धनवान बनि रहल अछि। शिक्षा, स्वास्थ्य आ और रोजगारक मुद्दा गौण अछि। सर्वाधिक नेताक सरजमीं वाला एहि क्षेत्रक दुर्भाग्य अछि कि कियो एखनो धरि वास्तव मे अभिशापित धरती पर खेवनहार नेता नहिं पैदा भेलेन्हि। सभ किओ खाय-पकाय वाला नेता अप्पन स्वार्थक रोटी सेंकबा मे लीन रहलथिन्ह। आई एकबेर फेर कोसीक काल धारा सभटा नेताक मुद्दाक खजाना थमा देलक। नर्मदा बचाओ आंदोलनक नेता सुश्री मेधा पाटकरक मानूं तं कोसीक समस्या के चुनावी मुद्दा बनायल जा रहल अछि। करीब नौ महीना पहिने कुसहा बांध टूटवाक बाद कोसीक प्रलयंकारी त्रासदी कें कतेक बरस तक नहि बिसरायल जा सकैत अछि। जदि सरकार आ नेता वास्तव मे किछु करबाक लेल प्रतिबद्ध रहितथि त बहुत किछु भ सकैत छल। आखिर नौ मास मे त गर्भधारण के उपरांत नवजात धरती पर अवतरित भ जाइत अछि। कोनो काज ओहि सं जटिल त नहि होइछ ? वास्तविकता त ई अछि जे सरकारक नुमांइदा पीड़ित के जानवर जकां हांकि रहल अछि। एतबहि टा नहिं कोसी क्षेत्रक योजनाक लापरवाही, अनियोजन आ ओर अनियंत्रणक कारण बर्बादी बढ़ि रहल अछि। सरकार कें नदी विशेषज्ञ टीम बजाक नदीक बहाव आ प्रभावित लोकनिक बचावक लेल त्वरित उपाय करवाक चाही। एहिठामक जनता के सेहो अप्पन अधिकार, विकास वा सुरक्षाक लड़ाईक लेल मार्च-अप्रैल तक नेता लोकनि फेर से ला लीपोप देखाक पांच सालक लेल विलुप्तप्राय भ जैतेन्हि।कोसी क्षेत्र में बांस आ ओर केलाक खेती बड्ड उर्वर अछि। विकासक हिसाब से सरकार कें एकर उत्पादन सं संबंधित कागज उद्योग व अन्य कुटीर उद्योगक लेल सार्थक कदम उठैयवाक चाही। हरेग गाम में भूदानक भूमि मिल अछि, जेहि में बहुत लोकनिक एखनी धरि जमींनक कब्जा नहिं मिलल अछि, वं सरकारक सकारात्मक भूमिकाक जरूरी छन्हि।

पत्रकार, नई दिल्ली फोन आ एसएमएस-09810307519

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