मैथिली टाइम्स
मंगलवार, अप्रैल 21
विद्यापति गीत
चन्दा जनि उग आजुक राति।
पिया के लिखिअ पठाओब पांति।।
साओन सएँ हम करब पिरीति।
जत अभिमत अभि सारक रिति।।
अथवा राहु बुझाओब हंसी
पिबि जनु उगिलह सीतल ससी।।
कोटि रतन जलधर तोहें लेह।
आजुक रमनि धन तम कय देह।।
भनइ विद्यापति सुभ अभिसार।
भल जल करथइ परक उपकार।।
1 टिप्पणी:
Ankur jha ने कहा…
bahoot badhiya------
25 अप्रैल 2009 को 7:40 am बजे
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
योगदान देने वाला व्यक्ति
जूली झा
बिपिन बादल
विनीत झा
सुभाष चन्द्र
ब्लॉग आर्काइव
►
2012
(1)
►
जून
(1)
►
2011
(36)
►
दिसंबर
(1)
►
जुलाई
(1)
►
अप्रैल
(1)
►
फ़रवरी
(13)
►
जनवरी
(20)
►
2010
(7)
►
नवंबर
(1)
►
फ़रवरी
(1)
►
जनवरी
(5)
▼
2009
(93)
►
दिसंबर
(6)
►
नवंबर
(1)
►
अक्तूबर
(1)
►
सितंबर
(7)
►
अगस्त
(17)
►
जुलाई
(23)
►
जून
(2)
►
मई
(3)
▼
अप्रैल
(4)
लघुकथा / बन्न कोठली
विद्यापति गीत
विद्यापति गीत
के सुनत कुसहा राग
►
मार्च
(2)
►
फ़रवरी
(18)
►
जनवरी
(9)
अबलोकन कर्ता
Feedjit Live Blog Stats
फ़ॉलोअर
एक नजरि इम्हारो
दर्पण (जुली जयश्री)
देख कबीरा (सुभाष चन्द्र)
मैथिली टाईम्स (बिपिन बादल)
1 टिप्पणी:
bahoot badhiya------
एक टिप्पणी भेजें