अपन प्रखर बुद्धि, वाक्ïपटुता, बौद्धिक चातुर्य आ परिहासक सहजि प्रवृत्तिक कारण हुनकर लोकप्रियता दिनानुदिन बढ़ैत गेलैन्हि। प्रसिद्धिक संग-संग लक्ष्मीक कृपा सेहो हुनका पर होमय लागलन्हि। गोनू झा आब गरीब नहि रहि गेल छलाह, ई बात इलाका केर चोर सबसँ सेहो नुकाएल नहि रहल। एक दिन किछु चोर ई निश्चिय कएलक जे गोनू झाक घर मे चोरी करी, कारण बहुत रास धन हाथ लगबाक संभावना छलै।
गोनू झाक दलानक एक कोन मे तुलसी आ अन्य बहुत झमटगर झाड़ी छलन्हि। ओ एतेक झमटगर छलैक जे यदि द्वि-चारि गोटा ओहि ओढ़ मे नुका जायत तऽ बहुत ध्यान देलहि पर ओकरा पर नजरि पडि़ सकैत छल। चोर सभ तय कएलक जे सांझ होइत देरी ओहि झमटगर जडि़ मे नुका रहल जाय आ जखन राति मे गोनू झा सब सूति रहताह, तखन चोरी कएल जाय। द्विटा चोर सांझ होइत देरी ओहि झुरमुट मे नुका गेल आ राति होयबाक प्रतीक्षा करए लागल। सांझ भेला पर जखन गोनू झा घुमि घाम कऽ घर अएलाह तऽ आदतन दलानक एक चक्कर लगौलह। ओहि झुरमुट लÓग आबिते देरी हुनका किछु संशय भेलन्हि। तत्काल हुनका सब बातक अंदाज भऽ गेलन्हि। गोनू झा केर दिमाग मे तत्क्षण एकटा विचार अएलन्हि। ओ ओहि झुरमुट लÓग खाट खसा ओहि पर बैसि गेलाह आ अपना पत्नि सँ पनबटï्टी, एक बाल्टीन जल आ लोटा लऽ आनए कहलथिन्ह। जखन सभ सामान आबि गेल तऽ पनबट्टïी सँ पान निकालि एकटा पान खएलाह। फेर युक्ति अनुसार ओ झुरमुट पर पीक फेंकए लगलाह। ओ पीक सीधे चोरबाक देह पर फेकैत छलाह। पान सÓधला पर ओ लोटा मे पानि भरि कुल्ला करबा बहाने चोरक देह पर मुंहक पानि फेंक दैथ। फेर दोसर पान खा लागथि। ई क्रम लगातार चलैत रहल। मुदा चोर छल कि पानक पीक आ कुल्लाक पानि सँ तर-बतर भेलाक बादो ओ दुनु दम साधि नुकाले रहल। चोरि मे बहुत रास धन प्राप्तिक आ लोभ पकड़ा जयबाक डर सँ ओ कोनो सुगबुगहाट नहि करैत छल। जखन बहुत राति भऽ गेलै आ गोनू झा खाना खयबा लेल आंगन नहि गेलाह, तऽ हुनक पत्नि हुनका बजाबय दलान पर अएलथिन्ह आ उलाहना देलथिन्ह जे हुनका भूख किएक नहि लगैत छन्हि। मुदा गोनू झा तऽ कोनेा आओर युक्ति लगा कऽ बैसल छलाह। ओ पत्नि सँ गप्प करबाक बहाने हुनको ओहिठाम बैसा लेलथि। एहू बीच पान खयबाक आ कुल्ला करबाक हुनक क्रम चलैत रहल। हुनका पत्नि के सभ असहज लगैत छलन्हि। अकक्षा के ओ कहलथिन्ह 'आब बहुत भेलैक, चलू पहिने खाना खा लीअ फेर पान थुकरैत रहब।Ó गोनू झा कहलथिन्ह, 'अच्छा अहां के जे विचार।Ó ई कहि ओ फेर पान थूकरैत कुल्ला चोरबाक देह पर फेंकला। ओ पत्निक आंचर सँ मुंह पोछि लेलाह। एहि पर हुनक पत्नि तमसा कऽ कहलथिन्ह ''हाँ, हाँ अहाँ ई केलौ, हमर साड़ी खराब कऽ देलहुं।ÓÓ गोनू झा हंसैत कहथिन्ह ''अहां हमर पत्नि रहितौं एतेक छोट बात पर तमसा रहल छी, अहां सँ नीक तऽ एहि झुरमुट मे नुकायल ई दुनू सज्जन पुरुख छथि, जिनिका देह पर हम सांझ सँ एतेक पानक पीक फेंकल आ कुल्ला कएल लेकिन ई दुनु भद्र लोक एको रत्ति खराब नहि मानलाह आ ओहिना चुपचाप बैसल रहलाह।ÓÓ ई सुनैत हुनक पत्नि सबटा बात बुझि गेलथिन्ह। चोरबो जखन ई सुनलक तऽ ओकरा सभ के बुझना गेलई जे गोनू झा हमरा देखि चुकल छथि। ओ दुनु हुनक पैर पर खसि माफी मांगए लागल। गोनू झा चोर के माफ करैत खाना खाय लेल आंगन विदा भऽ गेलाह।
1 टिप्पणी:
..धीरे धीरे भाषा/बोली सीखना पडेगा !!!
एक टिप्पणी भेजें