एकटा पत्रिका निकालबाक योजना बनि रहल छल। प्रकाशक आ संपादक बैसि कय विचार-विमर्श कय रहल छला।
राजनीतिक चर्चा के लिखत ?
हमर छोट पुत्र, ओकरा राजनीति मे बड्ड मौन लगै छै।
महिलका काॅलम ?
हमर कनियां, भरिदिन महिला सभक बीच बैसल ज्ञाने बंटैत रहै छथि।
सिनेमा ?
हमर मांझिल पुत्र, एक दिनमे तीन-तीन शो सिनेमा देखि लैत अछि।
खेल ?
जेठका बेटा, खेल मे रमिकय पढाई धरि चैपट क लेलक।
आवरण चित्र ?
हमर बेटी, ओ ....
पत्रिका प्रकाशित भेल। शीर्षक नीचा मे मोट-मोट आखरमे लिखल छल - अहाँक, अहींद्वारा, अहीं सँ प्रकाशितपत्रिका।
- सत्येंद्र कुमार झा
मंगलवार, अप्रैल 21
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6 टिप्पणियां:
हरि ॐ!!
ये भाषा ही हमें नहीं आती, अतएव कुछ समझ नहीं आया. :)
bahoot nik lagal
ehi kahani mein nik chitran bhel achhi. lekhak badhai ke patra chhaith aa hunka sa aaro rachna appechhit achhi...
kahani badhiya chhai .
hope to see more next time
i m very new to this blog but it seems very interesting.
congrats to those who hav created this site.
i really feel so guud that there is a site in my language......
hamra bahut pasand ayal e site
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