शनिवार, फ़रवरी 5

मिथिलाक प्रसिद्ध गाम बनगाँव


प्रसिद्ध गाम (बनगाँव) जिला - सहरसा के चर्चा करे चाहे छी ! जै गाम में बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाई (बाबाजी) केँ विभुतिपाद के रश्मि विकसित भेल छलैन ! आयो ओय गाम काँ बाबाजीक गाम कहल जैत अछि ! बनगाँव में बाबा अपन विराट कुटिया में आयो विराजमान छलाह ! मिथिलाक इ प्रसिद्ध गाम - बनगाँव, सहरसा जिला (मुख्यालय) सँ ८ की.मी पश्चिम में स्थित अछि ! बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाई (बाबाजीक) महिमासँ सिचल एय गाम में दिन दूना, रैत चौगुना प्रगति भोs रहल अछि ! इ गाम एक सँ बढ़ीकेँ एक आईआईटी, आईएएस, आईपीएस, अधिकारी मिथिलाकेँ प्रदान केना छले ! दार्शनिक स्थल में जते एय गाम के "बाबाजी कुटी" प्रसिद्ध अछि, ओते गाम में विराजमान एक सँ बैढ़केँ एक विराट मंदिर सभ गामवासी के श्रद्धा काँ अपन-आप में पिरोना छैन ! बनगाँव गाममें बाबाजी कुटी पर बाबा लक्ष्मीनाथक विराट मंदिर के संग अनेको विशाल मंदिर मौजूद अछि ! जेना की ठकुरवाड़ी, श्री कृष्ण मंदिर, महादेव - पार्वती मंदिर, हनुमान मंदिर .......बाबाजी कुटीसँ कनि पुरव गेला पर माँ बिष्हरा मंदिर, बिष्हरा मंदिरसँ उत्तर दिसा में गेला पर माँ भगवती आर माँ काली के विराट मंदिर छैन ! ओय सँ आगा पुरव दिसा में (चौक) पर माँ सरस्वती विराजमान छली ! अई प्रकारे यदि देखल जायतँ पुरे बनगाँव गाम एक धर्म-स्थल के समान अछि ! हम सभ मिथिलावासी बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाई (बाबाजीसँ) निक जेका परिचित छी ! औजस्कल (पहलवानी) युग में परिब्राजक बाबा लक्ष्मीनाथ बनगाँव गाममें पधारने रहथिन ! हुनकर गठित स्वास्थ्य देखकेँ की युवक की बुजुर्ग सभ हर्ष पूर्वक हुनकर बनगाँव गाम में स्वागत केलखिन ! स्वागत एय हेतु नै केना रहथिन की ओ (बाबा) महान साधू या योगी रहथिन स्वागत के पछा सभ ग्रामीण काँ अथाह विश्वास रहैन की यदि हुनका निक जेका खिलेल - पिलेल जेतैन तँ एक दिन ओ निक पहलवान बनता ! बाबा बहुत जल्दी सभ गामवासी के संग हिल - मिल गेलैथ ! बाबा चिक्कादरबर (कब्बडी), खोरी, चिक्का छुर-छुर देहाती खेलक निक खेलाड़ी मानल जैत रहैथ ! ओय समय बनगाँव गाम में दूध - दहीकेँ बाहुल्य छल ! एक धनी-मनी सज्जन हुनका दूध पिबई के लेल एक निक गो (गाय) द् देलखिन ! ओ सज्जन छलाह स्वर्गीय श्री कारी खाँ ! बाबा के लेल सभ गामवासी ठाकुरवाड़ी के प्रांगन में एक पर्ण कुटी बनेलैथ जे आयो आस्था आर धर्म स्थल के तौर पर प्रख्यात अछि ! बाबा ओनातँ परसरमा के रहिवासी रहैथ मुदा बेसी काल ओ बनगाँववे में रहैत रहैथ ! कारण बनगाँव के लोक बहुत सीधा - साधा आर महात्मा सभ में श्रद्धा राखे वला रहथिन ! बनगाँववे में हुनका "विभुतिपाद" के रश्मि विकसित भेलैन ! बनगाँववे में लगभग १८१९ ईo सँ बाबा ब्रजभाषा आर मैथिली में कविता लिखब सुरु केना छलाह जे आयो हमरा सभ के बिच गीतावलीकेँ रूप में मौजूद अछि ! बाबा द्वारा लिखल दोहा, चौपाई आर गीत अपने गीतावली में देख सकैत छलो ! बाबा योगी के अद्दभुत अवतार रहथिन ! आयो बनगाँव गाम में बाबा के कुतियाँ में रोगी आर बन्ध्याओ के ताँता देखल जे सकैत अछि ! लोग हुनकर मंदिर सँ प्राप्त नीर सँ लाभ उठबैत छैथ ! बाबा यथासाध्य सबहक दुःख दूर करै छथिन ! हम सब बनगाँव वासी के ह्रदय में बाबा आयो बसल छैथ ! संगे ओई पवित्र बाबा के भूमि में जन्म लकेँ हम सब ग्रामवासी अपना आपकेँ गर्वान्वित महसूस करैत छलो ! प्रेम सँ कहू जाय बाबा लक्ष्मीनाथ, जाय बाबाजी..

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