गुरुवार, दिसंबर 17

नख सँ शिख धरिक सौन्दर्य

कजरारी आँखि, सुग्गा जकाँ नाक, कबूतर सन गला, अनारक बीज सन गँथल दाँत, गुलाबक पंखुड़ी जकां लाल-लाल ठोर, नागिन सन लहराइत केश, सरिसौंक गाछ जकाँ लचकैत डॉड़ ...... नहि जानि सुंदरता केँ कतेक तरहेँ बताओल जाइत रहल अछि। कताक कवि तऽ नारीक सौन्दर्यक विषय मे कतेको रचना कय देलाह। एहि नख सँ शिख धरिक सुंदरता मे कोन अंग के की अहमियत होइत छैक ......
पैर : साधारण तौर पर पयर कें उपेक्षित अंग मानल जाइत अछि। लेकिन शिख सँ नख। (पैरक नह) धरिक सुंदरता केँ पूर्ण मानल जाइत अछि। नवकनियाँ पयर मे पायल पहिर एक-घर सँ दोसर घर दिश्ï डेग उसाहैत छथि तऽ सभ सहजेँ पायलक रुन-झुन आवाजकेँ अकानÓ लगैत छथि। पयर मे पायलक अलावा बिछिया, मैचिंगल नेल पॉलिश सुंदरता के बढ़ाबैत अछि संगहि जँ पैर के लालरंगा सँ रंगि देल जायतऽ कि कहत ...... ! अजुका समय मे खनखनाइत चानीक पायलक जगह सोनाक पानि चढ़ाओल पायल, कुंदर आ मोती आदिक झांझरि लय रहल अछि।
डाँर : जिनक डाँर पातर-छितर रहैत छैन्हि हुनक कोन कथा...! नख सँ शिख धरिक सुंदरता मे डाँरक अपन अहमियत होइत छैक। आइयो जखन तथाकथित आधुनिक महिला पारंपरिक परिधान यथा साड़ी, लहंगा चोली आदि पहरैत छथि तऽ करधनी (डरकश) अवश्ये पहिरय छथि। एहि सँ पतरकी डाँरक सुंदरता बढि़ जाइत छै आओर ओहि पर बलाबाबैत-अल्हड़ जकाँ हुनक चालि सभ केँ आहत करथ मे समर्थ होइत अछि।
नितम्ब : डाँर पावर-छितर आ सुडौर हुअए, संगहि नितम्ब भारी-भरकम बेडौल हुअए तऽ सुंदरता धरलै रहि जाइछ। तैं नितम्बक उचित रख-रखाव जरूरी अछि। बेसी चर्बी वाला आ गरिष्ठï भोजन, शारीरिक श्रमक कमी आओर आलस्यपूर्ण दिनचर्या डाँर आ नितम्ब केँ भारी बनाबैत अछि। ताहिं खान-पान आ जीवनशैली के सुधारबा आवश्यक।
पीठ : हालांकि पीठ पाछे दिश्ï रहैछ, तइयो ओकर साफ-सफाईक ध्यान राखल जाय। पीठ केँ हमेशा सीधा रखबाक चाही, झुकि कऽ बैसला आ चलला सँ देह टेड़ भऽ जाइत छै। बिना बाँहिक आ पैघ गर खुजल गलाक ब्लाउज पहिरल जाय तऽ पीठ के सुंदर हैब अत्यावश्यक।
बाँहि आओर हाथ : हाथ मे काँच या मेटलक खूबसूरत चूड़ी अथवा लाहक लहठी तऽ बाँहि केँ बावजूद सऽ सजेबाक परम्परा चलि आबि रहल अछि। बाँहि हाथ के सुंदर रखबाक लेल एकर सफाई जरूरी अछि। केहुनी के उपेक्षित नञि छोड़बाक चाही, नहि तऽ काल्हिं कलाईब सुंदरता हेतु कलाइबंद (ब्राशलेट) पहिरल जाइत अछि। संगहि रंग-बिरंगी चूड़ी, मैटल, काँच, हाथ संकर, अंगूठी आदिक संगे रंगबिरंगी नेल पॉलिश उपलब्ध अछि जकर समय आ परिधानक हिसाबे उपयोग मे आनल जा सकैछ। कोहुनी सँ नीचाँ हाथधरि मेंहदी लगाओल जाइत अछि।
उरोज : एहि सौंदर्य यात्रा मे भरल-पुरल उरोजक भूमिका केँ नकारल नहि जा सकैछ। ई मात्र नारी होबाक एहसास नहि थिक वरन्ï दामपत्य जीवन आओर ममत्व केँ आत्मसात करबाक हेतु थिक। उरोजक आकर्षण आ उभारक लेल खान-पान आओर समुचित देखभालक आवश्यकता होइछ, जाहि सँ नारी उन्नत उरोजक स्वामिनी बनल रहथि।
गरदनि : पातर-सोटल गरदनि नारीक सुंदरता मे चारि-चान लगा दैत छैन्हि। सुंदर ग्रीवाक लेल समय-समय पर फेशियल करेनाय लाभदायक होइत अछि। जखन गर्दन सुन्न रहैत तऽ आभा नहि प्रकट करैत अछि, ताहिं गरदनि मे कंठहार, रानीहार, मंगलसूत्र, चेन, नेकलेस या हार, हँसिया, नेकलेस पाबैत अछि, मुदा गरदनि हुअए तऽ लंबा चेन आ रानीहार सुंदरता मे बढ़ोतरी करैत अछि।
चेहरा : गुलाबी गाल, रसीली ठोर, मोतीक समान धवल दंतपंक्ति, कजरारी आँखि, सुन्दर नाक व कान, ई सब मिलि कय चेहरा कहाबैत अछि। चेहरा नीक रहैय तऽ अनयासे ककरो प्रथमे दृष्टिïये अपना दिश्ï आकर्षित करबा मे समर्थ होइछ।
ठोर : पहिने गुलाबी ठोर सुंदरताक पर्याय मानल जाइत छल लेकिन बदिलैत समयक संग लोकक मानसिकता बदलि रहल छैन्हि आओर एहि ठोर के लाल, मैरुन, मोव, पिंक, ब्राउन, कॉफी आ चॉकलेट शेड्स मे रंगल जा रहल अछि। एतबै नञि नबका फैशनक आलम ई ललनाक ठोर नीला, पीयब, हरियक यानि सतरंगी रंग मे रंगि रहल छथि। एहि सभक बीच जरूरत एहि गप्पक जे ठोर आ त्वचा सँ मेल करैत शेड्स के चुनल जाए जकरा लगा कय अधर बिना खुजने अपन-आकर्षण जाल मे सामने वला के कैद कय सकैय।
नाक : अपन सभक सभ्यता संस्कृति मे नाकक नथ (छक) केँ सौभाग्य ओ सुहागक प्रतीक मानल जाइत अछि। कुनु शुभकाज मे जँ स्त्री नथ नञि पहिनैय तऽ हुनक चेहरा श्रीहीन बुझना जाइत छैन्हि। जहिया सँ भूमंडलीकरण समय आओल तहिया सँ तथाकथित पश्चिमी सभ्यता सेहो श्री केँ एहि प्रतीक नथ केँ अपन शृंगार प्रसाधन मे अपनौलक।
आँखि : सुंदरीक नयनाक कटार पता नञि कतेक के घायल कय दैत अछि ...? ओना तऽ आँखिक खूबसूरती अपन बशक नहि ई तऽ प्रकृति प्रदत्त अछि तइयो थोड़ैक देखभाल आ शृंगार कय कऽ आँखि केँ आकर्षक बनाओल जा सकैछ, ई तऽ अपन हाथ। पहिलुका जमाना मे काजर एकमात्र जानल-परखल सौंदर्य प्रसाधन छल। लेकिन एखुनका समय मे आँखि केँ आकर्षक बनेबाक लेल बाजार मे विभिन्न शेड्स के आई लाइनर, आइ ब्रो पेंसिल आओर आई शैडो उपलब्ध अछि।
कान : जँ चेहराक सम्पूर्ण सुंदरता केँ ताकल जाय तऽ आँखि नाक अधरक अलावा कानक अहमियत कम नहि अछि। जँ कान नहि रहितै तऽ कतय लटकैते लम्बा-लम्बा झुमका, झूलैत बाली आ कतय सजितैय रंग-बिरंगी टॉप्सँ? किंचित्ï एहि दुआरे कानक ऊपरी भाग के श्रवण शक्ति सऽ कोना सरोकार नहि।
कपार : सुहागक प्रतीक बिंदी (टिकली) आब पारम्परिकता सँ ऊपर उठि कय फैशन वल्र्डक एकटा अहम हिस्सा बनि चुकल अछि। जमाना बीत चुकल अछि जखन सबदिन एक्के रंग आ डिजाइनक बिंदी लगाओल जाइत छल। आब तऽ बाजार मे सुहागिन, कुमारि आ फैशनपरस्त महिला सभक लेल अलग-अलग रंग आ डिजाइनक बिंदी भेटैछ, जे ओ अपन रुचि आ पसिन्नक हिसाबे कीनि सकैथ। ध्यान राखल जाय जे अपन कपार, रंग, केशक स्टाइल आ उम्रक हिसाबे टिकली कीनल जाय।
केश : माथक केश महिलाक लेल अत्यन्त महत्वपूर्ण अछि। केश केँ कई प्रकारें जूड़ा बना कय ओकरा कलात्मक जूड़ापिन, फूलक गजरा, मोती जरल किलप्स सँ सजा कय मलिका-ए-हुस्न बनल जा सकैत अछि।
—रानी झा

कोई टिप्पणी नहीं: