केओ अहाँ कें दरभंगिया कहत,
केओ अहाँ कें बिहारी कहत,
केओ अहाँ कें बाजर पर टोकत,
केओ अहाँ कें पहिरन पर हँसत,
मुदा ! अहाँ अपन काज बुझबै,
अप्पन काज नीक सँ करबै,
तखन, अहाँक परिश्रम
आ अहाँक मेधा देखैत
सब अहाँ कें मानत
सब अहीं कें पूछत
आ अहाँ कहबै जे हम मैथिल छी।
की दिल्ली, की पंजाब
की मुंबई, की गुजरात
कोलकाता सँ आसाम
सैनिक रूपेँ देशक सिमान।
सब ठाम अहाँ विराजमान।
अप्पन काजक बलेँ छोड़ैत निशान।
हे! अहाँ कहियो परिश्रम केर बाट
नइँ छोड़ब।
सब ठामक परिवेश सँ अपना कें जोड़ैत
अहाँ कहबै जे हम मैथिल छी।
अहाँक संघर्ष,
अहाँक सफलता, अहा...अहा...
अहाँ सम्पन्न हैब,
प्रतिष्ठित हैब,
मुदा हे! अहाँ संघर्षक बाट
नइँ छोड़ब,
मोन पड़त अप्पन गाम
ताहु लेल सोचब,
अप्पन संस्कृति, अप्पन भाषा
नइँ बिसरब।
...आ जँ कहियो ईष्र्यावश कियो
हिंसा पर उतरि जाय
त पड़ायब नइँ।
अप्पन गामक माटि केर सप्पत
कहबै जे हम मैथिल छी।
- आत्मेश्वर झा
बुधवार, फ़रवरी 9
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1 टिप्पणी:
bahut bahut sundar rachana bhaiji jatek parsansa kari kam" hamar nivedan je kichu apan rachana eho blog par del jau www.darbhangawala.blogspot.com email id darbhangawala@gmail.com
जय मैथिली, जय मिथिला, जय मिथिलांचल (बिहार)
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