ई कोनो नव गप्प नै
हमर रंडी के पूजित रह्लूँ हम
जन जन्मान्तर स
हुनक नाम बदैल बदैल
कहियो नगरवधू के रूप में पुजलों
त कखनो देवदासी बना क
अओर कहियो
इन्द्र सभाक नर्तकीक रूप में
वेश्या के कियक
हम त बलात्कारी के सेहो पूजा कायल
अहाँ संसद पठेबक गप्प करैत छि
हमर पूर्वज सभ त
एक संतक साध्वी स्त्रीक बलातकारी
बदमाश इन्द्र के देव्लोकाक सिन्हासहन सौपलांह
जे से ,
ध्यान देबाक इ जे
जे संस्कृतिक आदि व्यंग्यकार
महामुनि नारद सेहो
विरोध नहीं कयलाह
बलात्कारी इंद्रक ताजपोशी पैर ?
सुभाष चन्द्र
मंगलवार, जनवरी 27
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