गुरुवार, जनवरी 29

विषधर

अहां कें गोड़ लगैत काल
हमर मोन मे अहांक प्रति
कनिको श्रद्धा नहि रहैत अछि
किएक त हमरा बुझल अछि जे
हमरा प्रति देल गेल अहांक आशीर्वाद
खाली अहांक ठोरे सं निकलैत अछि
अहांक कंठ मे शब्द किछु आर रहैत अछि।

अहांकें नमस्कार करैत काल
हमर तरहत्थी तनतनाय लगैत अछि
मोन मे होइत अछि
एहि तरहत्थी कें थप्पड़ बना
अहांक दुनू गाल लाल क दी
किएक त हमरा बुझल रहैत अछि जे
अहांक नमस्कारक मुद्रा
आ ठोर परहक हंसी दूनू देखावटी अछि
अहांक आंखि मे बात किछु आर रहैत अछि।

अहां जखन हाथ मिलेबा लेल
हाथ बढबैत छी
त हम भीतर सं कांपि जाइत छी
हमरा होइत अछि अहां
त हमर गट्टा उखारि देब
अथवा आंगुर तोड़ि देब
किएक त हमरा बुझल अछि जे
अहांक हाथ, हाथ नहि अछि
ओ अछि आदमखोरक पंजा।

अहांक मुंह पर हम किछु कही ने कही
परोछ मे अहांक, नाम पर हम थूकैत छी
किएक त हमरा बुझल अछि जे
अहांकें अपन भाषा , समाज आ देश कोस सं
कोनो मतलब नहि अछि
मतलब अछि मात्र अपन स्वार्थ सं।

हमरा खुशी अछि जे हमर धीयापुता
एखने सं बुझए लागल अछि अहांक कूटनीति
आ अहांक बनाओल वातावरण मे
ओ सभ बनि रहल अछि विषधर

अहां प्रायः बिसरा गेल होयब
तें मोन पाड़ि दैत छी जे
विषधर हवा पीबैत अछि
एकसरि रहैत अछि
मुदा, जखन कटैत अछि
त केहनो बलशाली कें
सदाक लेल सुता दैत अछि।

- पूर्णेन्दु चौधरी

कोई टिप्पणी नहीं: