अभिव्यक्ति
सुखायल पात जका
हुनका लोकनिक गप्प
उरैत अछि स्वतन्त्र आकाश मे,
छू लैत अछि
गगनचुम्बी महल के,
सैट जाइत अछि
खुब पैघ पोस्टर स’,
तेज चलैत अछि
कार के काफ़िला के सन्ग.
मुदा हमर सभहक बात
पानि मे फेकल पाथर जका
डूबि जाइत अछि,
विलीन भ जाइत अछि,
ओहि मे वजन होइत छैक
तैयो स्तित्व नहि।
किछु साल बाद
माटिक गादि मे दबि
भुमिगत भ जाइत अछि
एहन अभिव्यक्ति के कि अर्थ?
- अरविन्द झा
बिलासपुर
09752475481
सोमवार, सितंबर 7
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