मंगलवार, सितंबर 8

चौंसठ कला

किछु गप्प ऐहन होइत छैक जकरा बारे मे कतेक बेर कतेको आदमी सँ सुनैत छी, मुदा ओ गप्प आखिर छै कि आ कियैक बाजल जाइत अछि। एकर तह मे जयबाक कोनो विशेष प्रयोजन नहि बुझैत छियैह। ऐहने एकटा सुनल जानल शब्द अछि 'चौंसठ कलाÓ, जे बहुत पहिनहिं सँ सुनबा मे आबि रहल अछि। लेकिन बहुत कम लोक केँ एकर अवगति छैन्हि जे सरिपहुँ ई चौंसठों कला होइत छै कि?
कहल जाइछ जे अजुका समय मे यदि एहि चौंसठ कला मे सँ नारी मे बीसोटा भेटि जाय तऽ ओ नारी गुणी छथि। जँ किनको मे चौंसठों कला हेतैन्ह तऽ नि:संकोच ओ पद्ïमावती सदृश हेतीह, जिनक गुण आ रूप-लावण्य पर साधारण मनुक्खक कोन कथा देवता सेहो मोहित होबाऽ सँ नहि बँचि पबैत छथि। जकर सीथ मे मोती हुअए, मुंह चन्द्रमा केर समान होइ, भौं धनुष जकाँ प्रतीत होइहि, जे अपन नयनाक कटार सँ जगत्प्राणी के घायल करैथ, जिनक लाल-लाल ठोर रस सँ भरल होइन्हि, ऐहन स्त्री जँ चौंसठों कला सँ परिपूर्ण होथि तऽ हुनका लेल पुरुष भेटब दुर्लभ जे हिनक वरण कए पबथिन्ह। ऐहन सुंदरी या तऽ स्वयंवर रचा अपन पति स्वयं पसिन्न करतीह अथवा दुष्यंतक शकुंतला वा कृष्णक राधा हेतीह। भऽ सकैछ फेर सँ सिंहल द्वीप बनै वा दुबारा राजा रत्नसेनक जन्म होइन्हि।
आई-काल्हिं जखने लड़कीक गुणक चर्चा होइत अछि सहजहिं सभक ठोर पर चौंसठ कला आबिए जाइत अछि, कारण पुरनका समय मे चौंसठों कला सँ परिपूर्ण स्त्रीये सर्वगुण सम्पन्न मानल जाइत छलीह। आखिर ई चौंसठों कला अछि की? जे मन के उद्वेलित कय रहल अछि। जँ पड़ताल कएल जाय तऽ साहित्य संस्कृति मे चौंसठ कलाक परिचय एहि प्रकारेँ भेटैत अछि :

गायन
वाद्य विद्या
नृत्य कलाक ज्ञान
नाट्ïयकलाक ज्ञान
चित्रकारी केनाय
बेल-बूटा बनायब
चाऊरक आँटा आ फूल सँ रंगोली (अरिपन) बनायब
रंग-बिरंगी पाथर सँ फर्श सजेनाय
मौसमक हिसाबे कपड़ा पहिरबक ज्ञान
समय आ ऋतुक हिसाबे शैय्या रचनाक ज्ञान
जलक्रीड़ा जानब
जलतरंग बजेनाय
पुष्पाहार आदि बनायब
वेणी बनेनाय
सुगंधित द्रवक ज्ञान
विभिन्न प्रकारक कपड़ा लत्ता पहिरबक ज्ञान
फूलक आभूषण बनाऽ पूरा देह के सजेबाक ज्ञान
इंद्रजालिक योग में निपुण
सौंदर्यवद्र्धक वस्तुक ज्ञान
नबका-नबका व्यंजन बनायब
सिलाई मे निपुणता
कईक प्रकारक शर्बत आ आसव बनाय
कढ़ाई मे निपुणता
कठपुतली बनायब आ ओकरा नचायब
वीणा आ डमरू बजेनाय
मुरूत बनेनाय
ग्रंथक ज्ञान
नाट्ïय सिनेमाक अवगति
कूटनीति मे दक्षता
पटिया गलीचा आदि बनायब
विभिन्न समस्याक समाधान केनाय
घर-निर्माणक जानकारी
बढ़ईक थोर-मोर काजक ज्ञान
रत्न चिह्नïनाई
मणिक रंग बुझनाय
बागवानीक शौक
पौधा सभक जानकारी
मुर्गा तीतर के लड़ेनाय
तोता-मैना के पढ़ेनाय
पक्षी-पालन
बहुभाषी होयब कम सँ कम दू भाषाक ज्ञान
इशारा सँ बातचीत करब
नबका-नबका बोली निकालब
नीक-बेजायक पहचान
काव्यके बुझबाक शक्ति
स्मरणशक्ति नीक
पहेली बुझायब
सांकेतिक भाषा मे गप्प केनाय
मन मे कटक रचना केनाय
समस्त कोषक ज्ञान
छंद ज्ञान
वेदक ज्ञान
खिलौना निर्मित केनाय
चौसर आ ताश खेलनाय
बच्चाक खेलक ज्ञान
उबटन आ मालिशक ज्ञान
घरक साफ-सफाई केनाय
पैघक आदर आ सम्मान
आज्ञाकारी
मधुर व्यवहार
मृदु व मितभाषी
छन्दबद्ध रचना केनाय
मितव्ययी
अस्त्र-शस्त्र ज्ञान

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