बुधवार, जनवरी 28

मैथिली टाइम्स किएक

संभव अछि जे एहि ब्लाओगक प्रारंभक घोषणाक बाद अपनेक मोन मे सेहो ई कहवी जोर मारैत हो जे बड तन ते भांसल जाए, गद्दह पूछए कतबा पानि ? तैं प्रार्थना जे कहबीए धरी राखल जाओ। हमरा लोकनिक एहि प्रारंभ के कनी स्नेह आ गिर्झदनी सं सोचल जाय तखन हमरो कहल जाए। अर्थात मैथिली मे एतेक रास पत्रिका आ ब्लॉग अस्तित्व मे अछि आ किछु अयबाक सुगबुगाहट कय रहल अछि, तकर बादो मैथिली टाइम्स किएक ? औचित्य कि एकर ? स्त्रोत साधन की ? निकलबाक आ नियमित अपडेट होइत रहत तकर गारण्टी आ उपाय की ? ककर, कतेक आ अंततः सूचना-विस्फोटक एहि विश्वव्यापी पसरल संजाल मे एकर कि हैसियत, कि संकल्पना आ बृहत्तर उद्दे’य की ? जिज्ञासा हो त तकरे सभक उपाय थिक ई प्रयास। पहिल प्रयोजन त इएह। प्रयास अछि आ संकल्प जे एहि युगीन आ विकासमान गतिशील जातिक सामान्य सूचना-चेतना के जागृत करब आ व्यवस्था तथा समय सं तर्क क सकी, सोझा-सोझी पूछि सकी जे साधारण लोकक जीवन संगे ई खेल के क रहलए, किएक क रहल आ ऐना करबाक पाछा कोन तागति ? केहन दुस्चक्र कार्यरत छैक आ एकर निराकरणप की छैक ? एहि सब बिन्दु पर अपने सं मैथिली टाइम्स निरंतर संवाद करत आ सहायता लेत, सहयोग देत। कि नहिं...एकर लक्ष्य निरंतरता मे मोटा-मोटी सोझांक समय कें एकरा वैज्ञानिक रूपें बुझबाक आ बुझयबाक तार्किक उपक्रम जेकां होयत आ तदनुरूप जानकारीक सेतु बनत। पारिस्परिक संवादक आवाजाहीक माध्यम।हमरा जनितबै आई धरि मैथिली भाषा के बड दूहल गेल। ई दोहन आनो क्षेत्र आ विभाग जकां समाजक संपन्न संभ्रांत वर्गक किछु गनल-गूथल लोक नितांत निजी अपन पारिवारिक उत्कर्ष -अभ्युदयक हित मे करैत रहलाह। से बात आब जानकारीक रूप मे देखए मे आबैत छैक। ताहि प्रकारक संभ्रांत वर्गीय मानसिकताक समानान्तर मैथिली टाइम्स जनसाधारणक विराट पक्षधरताक गप्प करत। अपन स्वर उंच करत; व्यवस्थाक कान्ह धरि उंच; से मुदा अपन पाठकक बले, अर्थात अपनेक बले। मुदा संकल्प मे ई छैक। बहुस्तरीय विभाजित संपूर्ण मैथिल समजाक वैश्विक सामाजिक आ सांस्कृतिक विकासक लेल विचारपूर्वक भाषा युद्ध करत। एखन धरिक मैथिल, मैथिली आ मिथिला केंद्रीत समक संज्ञान कें अंतर्राष्ट्रीय विचार भूमि पर ल जयबाक, प्रतिश्ठित करबाक प्रयास करत। एहिं प्रकारें मिथिला, मैथिल आ मैथिलीक इतिहास वैभव आ प्रचुर उर्वर वर्तमानक संभावना सभ सं आनो भाषा समाजकें परिचित काराओत, संवाद राखत। समाजक सर्वांगीण विकास आ प्रगतिक आजुक यात्रा मे मैथिली टाइम्स एकटा कारगर, धरगर हथियार बनत। अपने विश्वास करू, समस्त बनत मैथिल युगक एकमात्र समग्र अवाज बनत मैथिली टाइम्स। प्रगतिक बौद्धिक प्रारूप बनत आ व्यवहारिक बाट पर चलबा मे संगी। एकटा नव संकल्प आ चेतनाक नव क्रियात्मक समाज’शास्त्र गढत मैथिली टाइम्स। तथापि प्रचलित अर्थ मे एक्टिविस्ट नहि थिक ई। हां, मैथिली टाइम्स एकटा समस्त सर्वक्षेत्रीय ज्ञान बनत, इहो एकर काज होएत। कोनो घटना हमरा लोकनिक लेल वृहतर सामाजिक मानवीय उपोदयताक संदर्भ मे महत्वपूर्ण या मामूली बनत। मैथिली टाइम्स एहि दुआरे जैं कि मैथिली ; मैथिली टाइम्स एहि दुआरे जेे कि मैथिल आ मिथिला। अपन एहि समग्रता आ प्रबंधक राष्ट्रव्यापी संजाल मे प्रायः ऐहन ताना-बाना मे पहिल बेर ई उपक्रम अछि। अपन उपयोगिता कालांतर मे सिद्ध करत, तकर हमरा लोकनि कें विश्वास अछि। तैं जं मैथिली तैं मैथिली टाइम्स। मैथिली मे मिथिला आ मैथिल मात्र जे मिथिला मे रहैत छथि, सभ शामिल छथि।
- विपिन
. 9810054378

2 टिप्‍पणियां:

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा ने कहा…

बदल साब निक काज लेल शुभकामना

Jitendra Jha ने कहा…

Bipin ji Blog ke lel badhae ae .