बुधवार, अगस्त 5

युगक बिहाडि़

... अग्निक ज्वाला प्रज्ज्वलित भऽ उठल रहैक। ... ठीक गदहबेरे मे ... लुकझुक करैत छलैक दिन आÓ संध्या ओकरा पछुअओने अबैत छलैक ...। किछुए समय आर बीतल हेतैक ताÓ रातिक आगमन भऽ गेल रहैक ... अन्हरिया राति रहैक ... घुप्प अन्हरिया ... जाड़क राति ... हार कँपाबऽ वला राति ... आÓ सेहो अमावसक ... हाथ-हाथ नहि सुझैत ...।
... सब अपन-अपन काज मे लागल छल। ... दिन भरि काज मे व्यस्त ... हाट-बाजार ... खेती पथारी ... पौनी पसारी ... नौकरी चाकरी ... मर-मोकदमा ... अस्पताल ओ थानाक चक्कर ... खैरातक खातिर अंचल-प्रखंडक दौड़ आÓ कि आस्तिक भक्त-वृंदक मंंदिरे-मंदिर भगवत्ï दर्शन-पूजन आदि ... भिन्न-भिन्न कार्य-व्यवसाय मे लागल ... एमहर-ओमहर जाइत-अबैत ... सर्वत्र चहल-पहल ... वातावरण मे शब्दक टोप-टहंकार जनता-जनार्दन श्रीमुख सँ निकलि चलैत-फिरैत लोको केँ आÓ कि जाड़ सँ कठुआइत घर मे दुबकलो केँ ध्यान-भंग करैत ...।
... 'भेनिटिलेटरÓ सँ धुआँ बाहर निकलि रहल छलैक। ... किएक ककरो ध्यान जइतैक ओहि दिशि? ... अनुमानो लगौने हैत तऽ यैह जे घर मे खेनाइ बनैत हेतैक ... आÓ भनसा-घरक धुआँ निकलैत हेतैक। ... ताहि दिन गैसक प्रचलन गाम मे तऽ नहिञे रहैक, जे ठामे-ठीम शहरो मे रहैक ... तेँ जारनिञे पर भानस होइक पक्को बला मकान मे...। कत्तउ-कत्तउ कुन्नी वला आÓ कि कोइला वला चूल्हा सँ सेहो गामो-घर मे लोक काज चलाबए ...।
... बगलक फरीक मे सऽ एक गोटे आने दिन जकाँ घरबैया सँ भेंटघाँट करऽ पहुँचला तऽ केबारी बंद देखलखिन आÓ धुआँ सँ बरंडा भरल पओलनि ... चिरचिराइन गंध से फराक ...। ... अकचका गेला ई व्यक्ति ... 'आखिर बात की छैक?Ó ... आन दिन रोहिणी भाई केबारी भिरओने हमर प्रतीक्षा करैत रहैत छला आÓ गप्प-सप्प भरि पोख होइत छलैक ... गाम-घरक गप्प ... खेत-खरिहानक गप्प ... मामिला-मोकदमाक गप्प ... इतिहास-पुराणक गप्प... राजनीति ओ युग-धर्मक गप्प ... आÓ ताही संगेँ चाह-पानी से भिन्ने ...। ... मुदा ... मुदा आइ ...?
... रोहिणी बाबू एकटा दस-बारह सालक छौंड़ा केँ रखने छला ... बड़ आज्ञाकारी रहनि ... वएह चाह-पान सँ लऽ कऽ खेनाइ जलखइ सब किछु बनबैत छलनि ... एकदम सऽ ट्रेंड छल ... खूब होशगर छल ...। ... पत्नीक परोक्ष भेलाक किछुए दिनक बाद एकरा रखने रहथि ... विश्वासपात्र सेहो अलबत्ते ... सब पर सदति ध्यान रखैत ... हरदम कोनो काज पड़ला पर प्रसन्न मुद्रा मे उपस्थित श्रीमान्ï ... नकारात्मक उत्तर देबाक आÓ कि मुँह धुआँकस सन करबाक जेना ई सर्वथा विरोधी रहल हो तहिना बुझाइक ...। ... इहो टुगरे छल ... नान्हि टा छल तखने माय-बाप दुनू संसार केँ तिलांजलि दऽ चुकल रहैक ... कहुना कऽ बहिन ओतऽ पोसाएल छल आÓ ओहिठाम सऽ रोहिणी बाबूक शरण मे आएल छल ... दुनू केँ एक दोसराक जरूरत छलैक से पूरा भेल रहैक ...।
... संदेह भेल रहनि रोहिणी भाईक भैयारी केँ ... पहिने तऽ ई जे बुढ़ापा छनि ... ठंढा बहुत छैक ... कतउ ठंढ़े तऽ ने मारि देने छनि ... अगियासी कऽ कऽ तकर उपचार करैत होथि ... आÓ कि घूर पजरबा कऽ मच्छर भगबैत होथि ...। ... लेकिन संदेह दूर भऽ गेल रहनि थोड़बे काल मे ... कारण केबाड़ कतबो पिटला पर जखन रोहिणी भाई केबाड़ नहि खोल लखिन तखन ई जोर सँ हाक लगओने छला—'पढ़ुआ कका ऽऽऽ ... पढ़ुआ कका ऽऽऽ ... कने दौडि़ कऽ आउ तऽ रोहिणी भाईक ओतऽऽ ...। ... पढ़ुआ कका दौड़ल रहथिन ... पाछाँ सऽ हुनकर बेटा-पोता आÓ अगल-बगलक लोक सभ सेहो। ... यावत ई लोकनि बरंडा पर पहुँचल रहथि तावत धरि आगिक धधरा बहुत तेज भऽ गेल रहैक आÓ सौंसे बरंडा धुएं-धुआं भऽ गल रहैक ...।
... कोनो उपाय नहि देखि केबाड़ी तोड़ल गेल ...। देखैत देरी सभक होश-हवाश उडि़ गेलैक ... 'ऐँ ई की? ऐना किएक? आखिर कारण की? ... एहेन सज्जन लोकक ई दुर्दशा किएक? ... एहन बुद्धियो किएक? ...Ó छौंड़ा के सेहो नहि देखैत छियैक ... ओहो कत्तऽ पतनुकाओन लेलक से नहि जानि ... कतउ ओकरे तऽ काज अछि ... मुदा, ओहो तऽ महा सज्जन अछि ... बेटो सँ बढि़ कऽ हिनकर सेवा कऽ रहल छनि ... तेँ ओकरा पर कोनो संदेहो करब पाप होएत ...।Ó ... एहिना भिन्न-भिन्न प्रकारक आएल गेल लोकक मुँह सँ 'कमेंटÓ निकलैत गेलैक।
... रोहिणी बाबूक स्थिति देखबा योग्य नहि छल ... अति दर्दनाक ... बीच पलंग पर बैसल ... तुराइ ओढऩे ... बिछाओन सऽ लऽ तुराइ धरि आगि पसरल ... आÓ अपने धू-धू कऽ जरैत ... 'ओह ...आह ...ओह ...आहÓक कराह ...। ... कराहबाक स्वर अनवरत ... बिना विरामक ... बिना विश्रामक ... कौमा ...फुलस्टॉप नहि ... छटपटाइत ... तड़पैत ... जेना-जेना देह झुलसत जाइत ... फंकुरियाएल जाइत ... सीझल जाइत ... जेना-जेना मृत्यु समीप अबैत जाइत ताही अनुपात-क्रम मे चीत्कार सेहो ... करुणाद्र्र स्वर ... असह्यï वेदनाक स्वर ... तीव्र ज्वालाक स्वर ... आÓ देखिते-देखैत पुन: पूर्णविराम सेहो भऽ गेलैक ... मोन कोनादन सभक भऽ गेल रहैक ... सभक हाथ-पैर हेरायल ... ककरो किछु ओहि क्षण मे फुराइक नहि ... सभक शक्ति जेना क्षीण भऽ गेल होइक ... सभक बुद्धि जेना एकाएक मन्द पडि़ गेल हो, तहिना बुझाइत रहलैक ...।
... भाई-भैयारी ... दर-दियाद आÓ आस-पड़ोस सँ दौड़ल बारहो वर्णक जमात आगि मिझएबाक अथक प्रयास करऽ लागल रहथि ... कहुना आगि पर नियंत्रण पाओल जाए ताहि लेल कोनो प्रकारक रास्ता बँचलैक नहि ... मुदा, आगिक लहरि देखि ... ओकर धधराक तेवर देखि ककरो ओकर समीप जएबाक साहसे नहि होइक ... जान केँ जोखिम मे देब रहैक ... एकक संगेँ कतेक जइतैक तकर ठेकान नहि ...।
... नवयुवक दल मे सऽ किछु गोटे साहस करैत आगाँ आगि सऽ लोहा लेबा लेल बढ़ल रहथि ... केओ बालू झोंकैत ... केओ बाल्टिये बाल्टी पानि ढारैत ... केओ रोहिणी बाबूक मकुआ लाठी सँ आगि लागल तुराइ केँ टारबाक प्रयास करैत ... परन्च इहो प्रयास बिफल रहलैक ... कारण देहक वस्त्रक संग लपेटल तुराइ आदि सभ किछु देहक अंग बनि सटि चुकल रहैक ... देहक अंग-अंग बरकि एकरा सभकेँ आत्मसात्ï कऽ नेने रहैक ... लगैक जेना अधिक जाड़ पडऩे तुराइ आÓ अग्नि दुनूक काज एक्के संग रोहिणी बाबू केँ पडि़ गेल छनि ... दोसर दिन लेल फेर किछु बचेबाक नहि रहबाक चाहियनि ... जे भोगि लेथि से भोगथु ... जतेक आगि तापि सकथु से तापथु ... जतेक गर्मी आनि सकथि से आनथु ... जतेक गरमा सकथि से गरमाथु ... नहि जानि ई अन्तज्र्वालाक प्रतिक्रिया छलन्हि आÓ कि बुढ़ापाजन्य मानसिकताक प्रतीक ...।
... देखिते-देखैत रोहिणी बाबूक शरीर भस्मीभूत भऽ गेल। ... डाक्टर-वैद्य सेहो नहि बजाओल जा सकल ... यावत धरि लोक दौड़-बढ़ा केलक तावत काण्ड समाप्त भऽ चुकल रहैक। ... आएल-गेल लोक एक-दोसरा दिशि विस्मयादिबोधक भाव लेने तकैत रहल ...। आगिक पसाही तेना कऽ लगलैक जे क्षणहिँ मे सुड्डïाह केने चलि गेलैक रोहिणी बाबू सन सम्भ्रान्त व्यक्ति केँ ...।
... आब गाम मे शेष रहि गेल छलैक रोहिणी बाबूक घर ... घर मे पड़ल पलंगक कात मे किरासन तेलक एकटा खाली डिब्बा ... खररल सलाइक दू-तीन टा काठी ... आÓ आश्रमक किछु वस्तुजात सभ ... छिडिय़ाएल यत्र-तत्र ... अस्त-व्यस्त भेल ... आÓ हिनकर आज्ञाकारी छौंड़ा, जे जाड़क कारणेँ कठुआएल साँझे राति ओढऩा-तोढऩा ओढि़ सुजनी पर मुँह झाँपि घसमोरने बगलक कोठली मे पड़ल छल आÓ आँखि लागि गेल छलैक ... एकरा कोनो सुधि-बुधि नहि ... घटनाक कोनो सूचना नहि ... कोनो प्रज्ञा नहि ...।
... जनी जाति सऽ लऽ पुरुष-पात सब कहैत रहैक जे रोहिणी बाबू बड़ भागमन्न छथि ... तीन टा मे दू बेटा डॉक्टर आ एकटा इंजीनियर ... एकटा बेटी सेहो हाथी पर चढि़ गौरि पूजने ... बैंक अधिकारी पतिक संग कोनो शहर मे सुखक संग रहैत ... अपनहु सरकारी नौकरी सँ रिटायर कऽ पेंशन पबैत ... कोनो कमी नहि ...। 'रिटायरमेंटÓक बाद एक धक्का जरूर लागल रहनि ... पत्नीक देहावसान ... कैंसर सँ ग्रसित भए ओ परलोक-गमन कऽ चुकल रहथिन ... तथापि मोन केँ मना परिस्थितिक संग 'एडजस्टÓ कऽ गामहि मे रहए लागल रहथि ... नवनिर्मित मकान मे ... आधुनिक डिजाइन वला मकान मे ... बहुत सओख-मनोरथक संग बनओने रहथि ... मुदा, भोग थोड़बो दिन भऽ नहि सकलनि ...।
... संस्कारो की होइतनि रोहिणी बाबूक? ... शरीरक अस्थि टा अवशेष रहैक जकरा भस्मीभूत भेल ढेर सँ निकालि औपचारिकता पूरा भेल रहैक ... अस्थि-संचय श्मशान मे चारिम दिन होइतैक तकर विधि-वाध संस्कार सँ पूर्वहि कऽ संस्कार सम्पन्न कएल गेल रहैक। ... बहुत दूर रहथिन बेटा लोकनि तेँ कोनो स्थिति मे दूरभाषो पर सम्पर्क केने अपन-अपन असमर्थता देखओने रहथिन अएबा सँ ... हारि-दारि कऽ दियादिये मे सऽ एक गोटाक हाथेँ मुखाग्नि पड़ल रहनि।
... छउर क्रिया सँ एक दिन पहिने दम-दम कऽ बेटा लोकनि पाहुन बनल पहुँचल रहथि। ... सविस्तर घटनाक जानकारी हाकिमक अंदाज मे लोक सभ सँ लेने रहथि। ... आखिर ताकोहरी शुरू भेल रहए। ... रोहिणी बाबूक 'प्रज्ज्वलित अग्नि-शिखाकÓ कुंजी ...। ... भेटि नहि रहल छलैक किछु ... सब अपस्याँत ... एइ घर ... ओइ घर ... ड्राइंग रूम ... डाइनिंग ... किचेन ... कुरता सभक जेबी ... हैंगर मे टांगल कोटक जेबी ... स्लैब सब पर ... रैक-तैक सब ठाम, जे कोनो साक्ष्य भेटि सकए ...। ... पलंग जाहि पर सूतल रहथि से तँ जरि कऽ खाख भऽ गेल रहैक। ... ओहि पर जँ भेटलैक तऽ मात्र स्वेटर आÓ कुरताक रेख टा जे डोरिया छलैक ... छाउरक ढेरी पर चेन्ह ओहिना झकझक करैक प्रकाश मे ...।
... अन्तत: सफलता भेटल रहैक ... इंजीनियरेक ब्रेन काज कएने रहैक ... एकटा पत्र रोहिणी बाबूक हाथक लिखल भगवानक फोटो लग राखल भेटल रहैक ... पत्र मर्मस्पर्शी ... अपन अंतर्वेदनाक कथा ओहि मे ई लिखने रहथि ... वेदना असह्यï भेला पर मानव-मन विचलित भऽ जाइत छैक तकर अभिव्यक्ति कारुणिक शब्द मे देने रहथि ...। पत्रक निम्न अंश पठनीय ... मननीय ... ओ ग्रहण योग्य ...
'हे समाजक भाई-बन्धु ... सगा-संबंधी आÓ भावी कर्णधार लोकनि!
...हमर अंतिम प्रणाम।
... आइ अहाँ सब सऽ हमर संबंध छुटि रहल अछि सदा-सर्वदाक लेल। ... हम स्वेच्छा सँ देह मे आगि लगा स्वाहा भऽ रहल छी। ... एहि हेतु ककरो दोषी ठहराएब उचित नहि ... ककरो डॉढ़-बान्ह करब आÓ कि फाँसी पर चढ़ाएब कथमपि उचित नहि ... जे किछु से अपन भाग्यक दोष ... कर्मक गति ... 'करम गति टारत नहि टरेÓ कहलो गेल छैक ... जीवन सँ ऊबि चुकल छी ... हमरा लेल संसार मे केओ नहि ... जकरा अप्पन बुझलियैक ओहिठामक ठोकर तेहन लागल, जे धक्का बर्दाश्त नहि भए सकल ... मोन अछता-पछता रहल छल ... आगाँ-पाछाँ कऽ रहल छल ... बेचैनी छल ... की करी की नहि करी ... ई अंतद्र्वन्द्व हृदय केँ तेना गछारने छल ... तेना कऽ झकझोडऩे छल जे संतुलन केँ बिगाडि़ कऽ राखि देलक ... सभटा पढ़ल पोथी-पतरा केँ ताख पर रखबा देलक आÓ हाथ धरा कऽ कृतकार्य दिशि प्रवृत्त कएलक ... हम नकारि नहि सकलियैक ...। परिस्थितिक दासत्त्व स्वीकार करऽ पड़ल ... एकरा भावी बूझी अथवा हमर अज्ञानता से हम कऽ रहल छी ... एहि हेतु दुनियाँक कोनो व्यक्ति दोषी नहि ... बेर-बेर हम से कहि रहल छी ... अंतर्मनक ई स्वर अछि ... दोषी हम स्वयं छी जे परिस्थिति सँ आकुल-व्याकुल भऽ गेलहुँ ... विषम परिस्थिति देखि हड़बड़ा गेल होइ वा मन:स्थितिक कारणेँ गड़बड़ा गेल होइ से कहबाक सामथ्र्य हमरा मे रहि नहि गेल अछि, किन्तु, एतबा अवस्से कहब, जे हमरा वास्ते ककरो दंड नहि भेटैक ... हमरा प्रति जे केओ किछु कएलक, संभव थीक से हमर पूर्वजन्मक पापहिक फल हो आÓ कि एही जन्मक करनीक प्रतिफल ... तेँ ककरो पर दोषारोपण करब हमर काबलियत नहि हैत ... जाइतो-जाइत फेर एहन पाप करबाक दुस्साहस हम नहि करए चाहैत छी। ...
... मन:तापक विषय मे कहबे की करू? ... कही तऽ कोना कही? ... हृदय मे चिरसंचित अभिलाषा लऽ कऽ इंजीनियर-पुत्रक ओतऽ गेल रही। ... अवकाश प्राप्त कएलाक थोड़बे दिनुक अभ्यंतर पत्नीक देहांत सँ मोन टुटि चुकल छल ... अपन शरीर सेहो नाना रोग सँ जर्जर भऽ चुकल छल ... तेँ मोन बहटारबा लेल माझिल पुत्रक ओतऽ पहुँचल रही। ... ओना तऽ तीनू भाई आवेश-पात करैत रहथि ... श्रद्धा-भाव रखैत रहथि, मुदा ताहू मे माझिल केँ हमरा प्रति सर्वाधिक स्नेह प्रेम ... आÓ भक्ति-भावक उद्ïगार। ... हमहूँ गद्ïगद्ï ... जे चाहैत रही से मोन जोगर पाबि गद्ïगद्ï कोना ने होइतहुँ?
... किन्तु, हाय! कर्म से लिखल किछु आओर रहए ... मासो नहि लागल छल हैत तखने सुख-सौरभक विशेष आकांक्षा करब व्यर्थ प्रतीत होमए लागल ...। अपन दुखरा ककरा सुनबितियैक? ... अपन व्यथा-कथाक पन्ना ककरा समक्ष उनटबितियैक? ... लोक हँसैत ... थपड़ी पारैत ... नाँ हँस्सी होइत ... आÓ तेँ संकोच आÓ प्रतिष्ठïाक सवाल सेहो ... जँ ककरो किछु कहितियैक तऽ बोली देबऽ वलाक कमी नहि रहैत ... आÓ जे नीक लोक तकर 'इम्प्रेशनÓ हमरा प्रति केहन होइतैक ... अथवा जँ बेटे-पुतहुक केओ प्रत्युत्तर मे शिकायत करैत तऽ हमहीं से कोना ओ कतेक बर्दाश्त कऽ सकितियैक, तेँ चुप्पे रहब ठीक बुझैत रहलहुँ ... दम घुटैत रहल ... प्राण अवग्रह मे पड़ल रहल ... दूध-माछ दुनू बाँतर भेल रहल ... दूधक माछी बनल रहलहुँ ... तीतल बिलारि जकाँ सुटकल एइ कोन सऽ ओइ कोन करैत रहलहुँ ... बेलक मारल बबूर तर जाइत रहलहुँ ... झिज्झिरकोना खेलाइत रहलहुँ आÓ कखनो मौन-व्रत लए मौनी बाबा बनल रहलहुँ ... 'सब सऽ भला चुप्प ...Ó आÓ से सधने रहलहुँ ... एहि साधना मे अपना के सफल पबैत रहलहुँ ... हँसइ-खेलाइ वला व्यक्ति जे सब दिन रहल तकरा पर तेहन अंकुश लागि गेल रहैक ... तेहन दबाव दावनक बनल रहैक जे अक्क-बक्क चलऽ नहि दैक ... एक ईंच अपना मौन ससरऽ नहि दैक ...।
... अपना जनैत नीक कुल-शील ताकि बेटाक आदर्श विवाह आजुक समय मे लाखक लाख केर त्याक कऽ कऽ केने रही ... पवित्र पुतहु पाबि कृतकृत्य भेल रही ... मुदा, से महकारीक फऽर साबित भेली ... ऊपर सँ देखबा मे जेहने लाल-टुहटुह डगडग करैत आÓ बीच मे खदखद पिलुआ ठीक तेहने ... तेहन हड़ाशंखिनी निकलली, जे हमर सोन सन बेटाक हृदय पर्यन्त केँ बदलि देलनि ...।
... की कही? ... बेटा पर्यन्त डाँट-डपट शुरू कऽ देने रहथि ... 'बाबू! अहाँ अपन खाउ-पीबू ... आÓ राम-नाम जपैत रहू! अनेरे की घिनना-घिनौअलि घर मे करैत रहइ छी ... किदन-कहाँदन लबरी-फुसियाही मे हरदम लागल ... एमहर सऽ ओमहर करैत ... चैन सऽ रहब तइ मे की लगइयै??? ... की पुतहुओ संगेँ धीयापूता जेकाँ मुँह लगबैत रहइ छी ... लाजो नईँ होइयै कनेको?? ... अपने विचारू तऽ ठीक सऽ ... पढ़ल-लिखल भऽ कऽ एना करइ छी से छजइयै?? ... तखन कथी झूठ्ठे के रामायण आ गीता-पाठ करैत रहैत छी ... सबटा देखाबटिये किने? ओहि सब मे यैह लिखल छइ, जे खूब झगड़ा-झाँटी करू ... ककरो चैन सऽ नहि रहऽ दियैक ...???Ó
... ओह! मर्माहत भऽ गेल रही ... जे पुत्र हमरा समक्ष ठीक सँ ठाढ़ो नहि होइ छला सेहो तेना कऽ पत्नीक डर सँ हुनक दास बनि चुकल रहथि, जे कहितो कोना दन लगइयै ... पुतहुक तऽ कप्पे की कहू? ... कतेक कहू? ... कोना कहू ...?? ... एक संतानक माय बनि चुकल रहथि ... अपने एकटा प्राइवेट स्कूल मे हजार-दू हजार पर 'मैडमÓ बनि गेल रहथि ... एक भिनसर जे डेरा सऽ निकलथि से साँझे ठेका कऽ वापस आबथि ... तावत धरि डेरा मे बच्चा किलोल करैत ... फकसियारी कटैत ... हमरे पर रोबदाबक संग छोडऩे ... कनेको ओकरा कनला पर ओकर कानि हमरे पर झारैत ... की रहता? ... कने बच्चो के लेल पार नइँ लगतनिÓ ... खाली डेढ़ सेर कऽ गिरइ लेल हेतनिं ... बैसलठाम नीक-निकुत खाली भेल तकनि ... खोआ-मलीदा ... नोनगर-चहटगर ... भरि दिन चाह-पर चाह ... खिल्लीक खिल्ली पान फरमाइश पर फरमाइश चलैत ...। हमर बच्चा भरि-भरि दिन भीजल गदेला पर पड़ल रहइयै सेहो कने हटाएल कि धोअल पार नहि लगइ छनि ... हमरे कपार पर बथाएल रहता सब दिन ... जाथु ने आरो बेटा-पुतहु लग ... बाढ़नि लऽ कऽ नहि झाँटि कऽ बिदा कऽ देनि तऽ फेर हमर नामेँ कुकूर पोसि लिहथि ... हम कहइ छी ... एक रेख ... दू रेख ... तीन रेख ...!!!Ó
... हमर प्रवास जीवनक दुखनामाक कथा एत्तहि समाप्त नहि होइयै ... पुतहु केँ एतबे सऽ संतोष नहि भेलनि। ... स्कूल जएबा सँ पूर्व खेनाइ-जलखइक खानापुरी कऽ कऽ हमर बेटा केँ विदा कऽ दैथि, तखन अपने अहगर कऽ भोजन कए लेथि आÓ हमरा कहि जाथि—'बरतन मे सब किछु राखल छनि, भूख लगनि तऽ परसि कऽ खा लिहथि आÓ जतेक अईंठ थाड़ी-बाटी छइ सेहो धो-धा कऽ राखि दिहऽथिन ... चाह पिलहा कप सब घरे-बाहर जइँ-तइँ पड़ल छइ, सेहो धो लिहथि ... घर मे झाड़ू पोंछा सेहो लगा दिहऽथिन ... बिछाओन-ओछाओन झाडि़ कऽ रखिहथि ... दूधक पैकेट डेयरी फर्म सँ आनब सेहो नहि छूटनि ... हँ, सँझुका जलखइ सेहो बना कऽ रखिहथि ... कोनो काज छुटनि नहि, से ध्यान रखिहथि ...। ... एक बात तऽ कहइ लै भिनसरे सऽ विचारने रही, से बिसरले जाइ छलहुँ ... फेर मोन पडि़तय कि नइँ ... हम हिदायत करइ छियनि जे अधे राति सऽ ऊठि कऽ जे घंटी टनटना कऽ सभक निन्द हराम करइ छथि, से हमरा बर्दाश्त नइँ अछि, तेँ से आइ सऽ ध्यान रखबाक छनि ...। ... आरो बात सुनि लैथु ... यदि हमर बच्चा पैखाना-पेशाब करए तऽ तकरा शौच करा कऽ ठीक सऽ रखिहथिन ... कनला पर टहला देथिन ... घुमा-फिरा देथिन ... मारथिन—पिटथिन नहि ... हमरा जँ से कनिओ पता लागत तऽ घर मे तुरकान मचा देबनि ... सातो पुरुखा के उद्धार कऽ कऽ राखि देबनि ... हमरा नइँ चिन्हइ गेल छथि ... हमहूँ कोनो आजीगुजी घरक नइँ छी ... कोनो दरिद्राहाक बेटी नहि ... नामी-गिरामी अफसर बापक बेटी छी, जिनकर इलाका मे तूती बजइ छइ। ... इंजीनियर बेटा लऽ कऽ तऽर-उपर होइ छथि, तऽ से भ्रम छनि ... हमरो बाप के दू इ टा बेटा इंजीनियर छनि आÓ सेहो कोनो 'डोनेशनÓ वला नइँ 'कम्पीटीशनÓ सऽ 'सलेक्शनÓ वला ...। ... तेँ चेता दइ छियनि पहिने, ठीक सऽ हाथ-पैर समेटि कऽ रहथु जँ एतऽ रहबाक छन्हि आÓ नइँ से तऽ अपन गामक रास्ता नापथु ... पेन्शन पर गुजर करथु आÓ कि दोसरे बेटा-बेटी लग जा कऽ दिन-दुनियाँ देखथु ... पेट पोसथु ... हम आजिज-आजिज भऽ गेल छी एतबे दिन मे ... बाप रे बाप!!Ó
... पुतहु केँ जेना मिरगी आबि गेल होनि ... आÓ कि कोनो भूत-प्रेत देह पर आबि गेल होनि जे ब्लडप्रेशर बिना कारण के बढ़ैत गेलनि आÓ अर्र-दर्र बजैत चलि गेली आÓ हम ध्यानस्थ भावेँ बिनु किछु टोकारा दैत हुनकर सभटा गप्प सुनैत रहलहुँ ... अपमानक घोंट पिबैत गेलहुँ ... कारण, कनेको कल्ला अलगएला पर एगारह हजार वोल्टक खतरा छल ...। ... जीवन मे एहि सऽ पहिने जे कहियो नहि सुनने रही से सब सुनबाक अवसर भेटल छल ... गारि-मारि लोक कहइ छइ ... गारि तऽ कतेक बेर पढ़ल गेल छल ... मारि टा बाँचल छल ... सेहो कोनो दिन लागि सकइ छल ... लगैत छल जेना तकरो समय नजदीक आएल जाइ छलइ ... कैक बेर मोन मे आबए जे धरतीये फाटि जाइत आÓ ओही मे सीता जकाँ समा जइतहुँ ... आÓ कि रेल मे कटि जाइ ... कहियो होअए जे विषपाने कऽ कऽ जीवन-लीला समाप्त कऽ ली ... मुदा, धीया-पूताक माया-मोह माथ मे घूमऽ लागए, फलत: एहन क्रिया करबा सऽ बचबाक दुस्साहस करैत रहलहुँ ... कतबो अपमान होअए ... क्रोध आबए ... दु:ख होमऽ लागए ... तऽ अपने-आप केँ रोकी—'रे मन हरबरो जुनिÓ ... आÓ मोन सेहो हमरा रोकि लियए ... विपत्तिक क्षण मे ... कतेक बेर एहन भेल ... परंच अपना पर नियंत्रण रखने रहलहुँ ...।
... आइ नहि जानि हमर अंतज्र्वाला कतेक तीव्र भऽ गेल अछि—जे बाहरिये अग्निक ज्वाला सँ शान्त भऽ सकत—'विषस्य विषमौषधम्ïÓ कहल गेल छैक ... आÓ तेँ अंतिम निर्णय एहि रूपक लऽ छी ... आत्महत्या करब कायरताक प्रतीक छैक से बुझितो ... मुदा, हमरा संग विकल्प नहि रहल ... 'एहि जीवन सौं मरणो भला, जहाँ न आपनु कोयÓ केँ चरितार्थ करैत स्वयं देह मे आगि लगा एहि संसार सँ विदा भऽ रहल छी। ... आब सब सुख सऽ रहइ जाथु ... काल टरि रहल छनि ... सर्वदाक लेल काल ... महाकाल ... आब नहि ककरो अकच्छ करबनि ... कहियो ककरो किछु नहि कहबनि ... कहियो नहि ...।Ó
... यद्यपि रोहिणी बाबूक करुणा-कवलित कएनिहार पत्र सम्पूर्ण उपस्थित जन-समुदाय केँ जीवनक नाना अनुभूति पर सोचबाक लेल बाध्य कऽ देलकैक '... परंच नहि जानि की सत्य ... की असत्य ...?? ... के दूधक धोअल आÓ के कालिख सँ पोतल!! ...।Ó


—डा. धीरेंद्र नाथ मिश्र