मकरा जाल बुनैत अछि फुरसत मे
ओ करैत अछि निढाल फुरसत मे
कथी लेल पूछैत छथि वो हमरा सँ
एहन-ओहन सवाल फुरसत मे
लोक नीक जकां देख लिअए हमरा
अपना कें घर सँ निकालि फुरसत मे
लूटि लिअए हमर परछाईं हमरा
नहि त रहि जायत कचोट फुरसत मे
जिनक ठोर पर मुस्की छैन्हि
पूछिओन हुनक हाल फुरसत मे
फेर ककरो सम्हारब नहि
पहिने अपना कें सम्हारी फुरसत मे
धारक कात मे बैसि कय अहां
एना नहिं पानि उछेहु फुरसत मे।
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