गुरुवार, मई 28

एहसास

हुनकर ममता कें आंगन मे
खेलाइत छल लड़कपन हमर
ओकर आँचल कें छांव मे
शीतलता, स्नेह सेहो पओन छलौं
जिनगीक किछु अनमोल क्षण
जिने छलौं
हम ओकर संग
ओकर उपस्थिति मात्र सं
सभ खुशी जिनगी मे आयल
पछिला कतेको जन्म सँ
शाइत कोनो संबंध छल
नहि त कियैक
हमरा बीच
एहन अटूट बंधन छल।
अस्तित्वक ओकर
अभाव छल आइयो
नहि अछि जीवित
आब ओ समझ
हमरा लग
मुदा, नहि जानि कियैक
नहि होइत अछि ओकर संग
मुदा, सदिखन होइत रहैत अछि
ओकर संग रहबाक आभास।

- सुभाष चंद्र

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