शुक्रवार, सितंबर 18

जो रे कलंकियाहा!

दिल्लीक भगम-भागी जिनगी मे सदिखन सभ किओ अफस्यांत रहैत अछि। एखन तऽ अवश्ये, चुनावक बाजार जे गरमायल छै। सभकें पड़ाहि लागल छैक। अखबार आ चैनल वला सभ नेताक साक्षात्कारक लेल दौडि़ लगा रहल छथि। भला एहन स्थिति मे हम कोना पाछा रही, आखिर हमहूँ तऽ एकगोट पत्रिका सँ जुड़ल छी। कखनो काल चन्द्रशेखरकट खुटिआयल दाढ़ी सेहो रखैत छी, तैं अपना केँ पत्रकार-मानवा मे कोनो असोकरज नहि।
अचानक एतेक ने धरफरी भऽ गेल जे भोर होबाक धैर्य नहि रहल, झटपट चट्ïटी पहिर-बिदा भेल, जे आइ कोनो-ने कोनो महापुरुष केँ जरूर ताकि लेबैन्ह, हुनका सँ दू टप्पी गप्प कए ओकरे साक्षात्कारक रूप मे तैयार कऽ लेब। डेग बढ़ौने जाइत रही, यमुनाक कछेर मे पहुँचल तऽ एकगोट बूढ़ दुरहि सँ देखवा मे अयला, हाक देलयन्हि कथी लेऽ सुनताह। डेगक नाप बढ़ावैत लग पहुँचल तऽ देखल जे कक्का नेहरू मन्हुआयल टहलैत छलाह। कुशल-क्षेम पुछलाक बाद, बाजलाह-रे पत्रकार-हम तऽ बुढ़ारी मे एहि धारक कात मे छी तऽ तौं कथी लेल टौआइत छÓ तोरा कोन विपति कपार पर आयल छ? हम बजलौ-विपतिक कोनो सीमा छै, यौ कक्का, बुझना जाइछ जे सभक सोच चालनि भऽ गेल छै, सभक भिन्ने बथान, किओ सोझेँ मुँहे गप्पे नहि करैत छै! बड़Ó झमारल छी, शान्ति तकबा लेल अहाँक शान्तिवन दिश्ï अवैत रही कि अहाँ पर नजरि पड़ल। संगहि आकांक्षा छल जे अपन पत्रिका मैथिली टाइम्सक लेल अहाँक साक्षात्कार लैतौं!
बाजि उठलाह-'हमरा सँ साक्षात्कार! हमरा लग-वाँचले कि अछि, किछुओ तऽ नहि। कहै छÓ अपना केँ पत्रकार आर एतबो नहि ज्ञात छÓ जे शान्विनक शान्ति आब खत्म भऽ गेलै।Ó हम अकचकेलौ! मौन में तऽ बड़ऽ 'किछु फुड़ायल, लेकिन एकटा गप्प मौन पड़ल जे बेर पड़ैÓ तऽ गदहो के बाप कहि, 'आखिर हमरा तऽ हुनक साक्षात्कार चाही। झट सँ हम कागत निकालल, पेनक ठप्पी खोलि प्रस्तुत भेलौं इंटरभ्यूक लेल। कहलयन्हि कक्का चुनावक बाजार गर्म छै, सब कथूक भाव तेजी सँ बढि़ रहल छै, एहि संदर्भ मे अहाँक विचार सँ अवगत होमय चाहैत छी। कहलाह-बुरि कहाँ के। सत्ते मे तौं पत्रकार छह 'अधकपारी! हौ हमर उमरि नहि देखैत छह, चलऽ छाहरि मे बैसि गप्प-सरकक्का करब। तोहर सभक तऽ एकमात्र सिद्धान्त भऽ गेल छह 'हम सुधरेगें, जग सुधरेगा; न सुधरेगें न सुधरने देंगें।Ó मौन मे आयल ठोकल जबाव दियैन्ह, लेकिन हड़बड़ी मे कोनो गड़बड़ी ने होअए आ प्रथम ग्रासे मक्षिकापात: नहिं भऽ जाए तेँ पुन: दाँत निपोडि़ हंसी के रहि गेलहुँ।
हमर पहिल प्रश्र छल-अहाँक कांग्रेस पार्टी मे सभकेँ ऐना पड़ाहि कियैक लागि गेल छै? तहि पर कहलाह-हौ, आबक लोक अपना केँ बेसी एडवान्स बुझैत अछि। किओ गाय-महीस तऽ छै ने जकरा खूँटा मे खुटेंस कऽ राखल जा सकए। सभक-अपन सोच छै, ककरो तऽ बाध्य नहि ने कएल जा सकैए छैक।
हम पूछलयन्हि-सुनबा मे अबैत अछि जे नेतृत्वक कारणेँ सभ पार्टी छोडि़ रहल छथि, कि आहाँ नेतृत्वक कमजोरी मानैत छी? बजलाह-जदि नेतृत्व कमजोर पडि़ रहल छैक तऽ बाकी नेता सभ हिजड़ा छथि कि, किओ आगाँ बढि़ कऽ कमान सभालि लैथि। ई तऽ प्रजातन्त्र छै ने, जनता-जनार्दनक ध्यान तऽ अवश्ये राखय पड़तैक नहि तऽ कोपक सामना करबाक लेल तैयार रहथु।
हमर अगिला प्रश्र छल-कक्का! अहाँक कांग्रेस आई विपक्ष मे रहलाक कारणे सभ कथूक विरोधे टा करैत अछि, चाहे भारत-उदय हो अथवा राजगक एजेंडा? ऐना कियैक? चोट्टïे जबाव देलाह-विपक्षक काज छैक आलोचना केनाय, एकर मतलब ई नहि जे सभ कथूक विरोध कयल जाए। विरोधक लेल विरोध कयल जाए। जहाँ धरि हमर व्यक्तिगत सोच अछि-भारत उदयक विरोध नहि होबाक चाही। भारत निरंतर विकासक पथ पर बढि़ रहल अछि, एहि विकास क विरोध कियैक। कांग्रेसक शासनकाल मे जहन भारत पर्व आ मेरा भारत महानक नारा देल गेल छल तऽ विपक्षी दल एकर विरोध नहि कयलक। ओना चुनावक समय छै, एक-दोसरा पर छीटाकांशी तऽ चलितै रहैत छै।
पूछलयन्हि-विपक्षी सभ निवर्तमान अध्यक्ष सोनिया गाँधी, केँ प्रधानमंत्रीक रूप मे विरोध कय रहल अछि! आ किछु बरख पूर्वहि कांग्रेस सेहो विदेशी मूलक सवाल पर टूटि चुकल अछि, कियैक नहि अहाँ सब संविधान मे एहि सँ संबंधित कोनो प्रावधान केलयहिं? कक्काक मौन विखिन्न भऽ गेलैन्ह, कहलैन्हि-हौ, कि बुझैत रहहिं जे एहनो समस्या ऐतै, सेहो हमरे खानदान मे। नहि जानि पूर्वजन्म मे कोन चूक भेल जे सभ कलंकियाहा एहि पार्टी आ हमरे खानदान मे आओल। जहन बेटी आन जाति आन धर्म मे वियाह कयलक तऽ कतेक-उठा-पठकक बाद मामिला शान्त भेल। कोहुना कऽ त्राण पओने छलौं। ई कलंकियाहा आन जाति आ धर्म के पूछय, विदेशीये के उठाकऽ लऽ अनलक। तिधर्मीए सऽ बियाह करबाक छलै तऽ कय-स-कए इन्दु जकाँ देसे मे करिता। कि बुझैत रहियै जे ओ पुतोहु राजनीति मे आओत आर एहि समस्या सँ जनता केँ जुझय पड़तैक। जे-से। जहन पुतोहु बनि गेल तऽ ओकर अधिकारक विरोध मे तऽ हम नहि ने किछुओ कहब आखिर हमरे खानदानक अछि ने।
तहन जनताके अहाँ कि कहै छियैह जे सोनिया के प्रधानमंत्री बना दै? हम तऽ सेहो नहि कहलियह। हाँ जनमत के अपन महत्व छैक, सभटा रिमोट तऽ जनता लग छैक, जनता विवेक व बुद्धि सँ निर्णय लिअय तऽ सबटा तसवीर ओहिना सामने आबि जेतै। बुझना मे आयल जे कक्का केँ एक दिश अपन खानदान तऽ दोसर दिश्ï राष्टï्र प्रेम खिचि रहल छन्हि। एहि ऊहापोहक स्थिति मे हमर अगिला प्रश्र छल-सोनिया गाँधी किछु दिन पूर्वहि बजलीह जे उपप्रधानमंत्री-आडवाणी जी एकटा औरत सँ डरि कऽ फेरो रथ-यात्रा आरंभ कय रहल छथि। कि जनताक लेल ओ-मात्र एकटा औरत छथि, आर किछु नहि? ताहि पर कहैत छथि जतय धरि औरतक गप्प छै तऽ सोनिया अवश्ये औरत छथि। एकरा अलावे कांग्रेस अध्यक्षा आ भवी-प्रधानमंत्री सेहो छथि। हौ! तोरो सभ केँ कि कहियौ, तहूँ सभ पत्रकार ने बेमतलब के तिलक-तार घींचैत रहैत छह। ऐना कहूँ भेलै यै। हमरो बेटीतऽ महिला रहैत प्रधानमंत्री आ पार्टी अध्यक्ष छल। बेचारी सोनिया लग राजनीतिक अनुभव थोड़ेक कम छै, ताहिं तहूँ सभ रहि-रहि कऽ उकट्ïठि करैत रहैत छह। जा, आर किओ नहि छह! आई-काल्हिं एतेक जे घोटाला पर घोटाला भऽ रहल छैक, मार-काट ताहि पर कथीक लेल नहि ध्यान दैत छहक। हमर खानदान मे आन जाति, विदेशी सँ वियाह कि कयलक तौं सब सदिखन चर्चाक बाजार गर्मोने रहैत छह। कि दोसरो पार्टी सभ मे दुर्गुण नहि छै कि? आन सब दूधक धोल छथि आ कि गंगाजलक बोतल उठाकऽ सप्पत खेने छथि। तहूँ सब आब नेता जकाँ चाटुकार भऽ गेल छह। हमरा लग आब तोरा सन-सन चाटुकर लोकक लेल फुर्सति नहिं अछि। सभ केँ चीन्हि लेल।
एतबे मे हमर निन्न टूटि गेल मुदा एतबेऽ संतोष अछि जे सपने मे सही पत्रकार जकाँ केकरो साक्षात्कार तऽ लेल। सेहो कक्का नेहरू सन महापुरुष केर।

कोई टिप्पणी नहीं: