मंगलवार, अगस्त 11

कतवा पैन में छी हम

हम सब कतवाक गरीब छी.....एकर अंदाजा गाम गेलाक बाद लागि सकैत अछि.....केहनो कमेनहार मात्र मास भरि गाम में रहि जाउ...त बुझि जेबै.....गेलाक एक सप्ताह तक त हम सब अपन कपड़ा धोवी सं धुआबैत छी....आ तकरा बाद यै कहैत छिए जे रह दिअउ.....दिल्लीए में आइरन करवा लेब........किएक त आई शहर सं बेसी महग गाम भ गेल अछि....कुनू नीक वस्तुक भेटव कठिन अछि.....कतवौ पैइ किएक ने अछि....इच्छित वस्तुक लिप्सा पूर्ण नै भ सकैत अछि......
.....जे कखनो काल एना बुझैत अछि जे....हम सब मात्र खैए के लेल जीबैत छी.......एक पूर्ण विवरण बरियाती में भेट सकैया.........जाहि में बरियाती के एक सांझ खुआवक चक्कर में कन्यागत सालों पाछू भ जैत छैथ.....कर्ज में डूबि जैत छथि.......इम्हर कुनू पहुन के कतवौक जरूरी किएक नै रहैन्ह....यदि हुनका कहि देल जै....जे छोड़ू आब आई कि जैब.....काल्हि बड़का भोरे निकलि जैब.....आय सांझ में हाट छी.....देखै छियै....जं किछु जोगार भ जै.....ओ बुझि जैत छथि.....आ यकीन मानू जे हुनकर मोन आगू-पाछू हुअ लगैत छन्हि....आ चलैत काल....चौक तक अबैत-अबैत त हुनकर प्रोग्राम एकदमे बदलि जैत छन्हि....आ ओ स्वयं इ बाजि पड़ैत छथि ...हे लेकिन हम निकलि जैतउं त नीक छल....अहि में भाषा एतवाक कमजोर रहैत अछि....जे अहां स्वतह बुझि सकैत छी....जे इ कहि रहल छैत जे....आब त रुकबे करब.....आ अहांक के आग्रह के परिणामस्वरुप अधमोनो मांछ किनैए पड़त........यैह हमर पहचान छी.........
- ओम प्रकाश झा

1 टिप्पणी:

ankur k jha ने कहा…

lekhak apan viyahak anubhav ke nik jaka prastut karbak prayas kelain achhi.....bahoot nik prayas kabile tarif,....nik lagal