बुधवार, अगस्त 19

अपन विशाल बरामदा मे बैसल जाड़क रौद सेकति माता जी केर धियान एक-एक गमला के छूबति बाहर लॉन में लागल पेड़-पौधा पर अटकैत गेट पर अद्र्घवृत बनबैत बोगन बेलिया पर अवस्थित भऽ गेल छलन्हि ''माली आय-काल्हि किछु अनठबैत अछि, एक दू गोट पियर पात किलकारी मारैत फल सबहक बीच केहेन घिनौन लगैत छैक...माली के एक-दू झाड़ अवस्य लगैक चाही, सब काम चोर भऽ रहल अछि...माता जी अहाँक फोन, कियो रमनीकांत बाबूÓ सुरेस कहि जायत अछि, मुदा हुनक धियान फूल आ फूलक कियारी में ऐना ओझरायल छलैन्ह, जे ओ पता नहिं सुनलखिन्ह वा नहिं। सुरेश किछु कहि कऽ फोन राखि देलकन्हि।

फूल सँ हुनका नेने सँ बड़ प्रेम 'तैंÓ लोकवेद हुनका 'फूलदाईÓ कहऽ लगलन्हि। पिता केँ बड़का बंगला आ 'पुष्प प्रेम जेना हुनका विरासत मे भेट गेल छल। सासुरो के हवेली आ तामझामक कोनो कम नहिं। प्रवासी पति पर लक्ष्मी के बरदहस्त रहलैन्ह। आ हुनक सौख-मौज मे तिल बराबरि कमी नहि रहलन्हि। विगत के वैभव हुनक आँखि मे साकार भऽ उठलन्हि।

पोखरि.....माछ....मंदिर....। आब कोन धन्नासेठ सहरि मे राखि सकैत अछि। पहिलुका मौजे के परछोन नहिं अछि आजुक फार्म हाउस....मुदा केहेन गौरव सँ लोक एकर शान बघ रति अछि।

टॉमी...कू...कू...करैत हुनक पएर के नीचा आबि बैस रहलन्हि। अचानक हुनक धियान टामी आ चिकी पर गेलन्हि। पामेरियन चीकी, अलशेशियन टामी के कतेह दिक करैत छै...मुदा टामी अपन भलमनसाहत के परिचय दइत ओकरा क्षमा करि दैत छै। परस्पर वैर-गुण साहचर्यक कारणे विलुप्त भऽ गेल छै जेना।

टॉमी आय काल्हि किछु अस्वस्थ लागि रहल अछि...मौजीलाल के कहने रहथि मवेशी डाक्टर सँ देखबऽ लेल...कि कहलकै डाक्टर...किछु गप्प नहिं भऽ सकलै...डाक्टर ओतऽ सँ घुरति ओकर जेठका बेटा गेट पर ठाढ़ भेटलै, ओकर छोटका बेटा छत पर सँ खसि पड़ल छलऽ... आ ओ छुट्टी लऽ क तुरते विदा भऽ गेल छल। मौजेलाल...टामी...चिकी...के फाँदति...फेर हुनक धियान डालिया के बड़का फूल पर रमि गेलन्हि...हुनका अपन बगीचा ओतबे प्रिय लगैत छन्हि...जेना शाहजहाँ के अपन लालकिलाक दीवाने खास आ हुनक बस चलतन्हि तऽ ओहो.....एकर चारू कात लिखबा दैतथि... ''जौं धरती पर कत्तो स्वर्ग थिक...तऽ ओ एतऽ थीक...एतऽ थिक...एत्ते थीक मुदा एक कात मिस्टर सेठी क बंगला आ दोसर कात देशपांडे के पंचसितारा होटल...अपन भावना के मोनक कोनो कोन मे दफना कऽ ओ उदास भऽ जाइत छथि। आब ओ दिन कहाँ एखन सब पैसा वाला राजे थीक।

... माताजी कियो रमणीकांत बाबू...तीन दिन सँ फोन कऽ रहल छथि...कहति छथि जे बड़ जरूरी काज छैन्ह...मेम साहेब सँ बात करताह...अपने हरिद्वार गेल रही... फेर मंदिर... सत्संग...आय अपने पूजा...ÓÓ सुरेश अखन अपन गप्प खत्तमो नहिं केने छल...कि... गेट पर एक गोट कारी मर्सिडिज रूकलै... अत्याधुनिक सूट मे सुसञ्ञित पुरूष एक संभ्रांत वृद्घा संग गेट सँ होइत बरामदा मे एलाह।

ड्राइंग रूम मे सुरेश बैसबै छन्हि... रमणी कान्त बाबू आ हुनक माए....माताजी प्रणाम कएलन्हि! ''कतेक बेर फोन कयलहु मुदा अपनेक व्यस्तताक कारणे वार्तालाप नहिं भऽ सकल इम्हर अहि होटल मे हमर एकटा मीटिंग छल... तऽ सोचलहु जे एक पंथ दू काज भऽ जाइत बिन पूर्व अनुमति के उपस्थित भेलहु क्षमाप्रार्थी छी...ÓÓ रमणीकांत बाबू बड़ दुनियादार... बाजऽ मे निपुण व्यक्ति लगलाह।

''अयबाक विशेष प्रयोजन अपनेक पुत्रक प्रति... हमर कन्या...ÓÓ अपन कन्याक वर्णन मे सबटा विशेषण... उपमा के प्रयोग करैत ऐना... नख-शिख वर्णन मे लागल छलाह... जेना... कोनो चित्रकार अपन अमर कृति के बखानति ओकरा कला पारखीक समक्ष उपस्थित केने होय।

एक बागि ओ चुप भऽ गेला किंस्यात हुनका माताजी केर चुप्पी अखरऽ लगलन्हि... आब हुनक वृद्घ जननीकेर बारी छलन्हि ''हमर पौत्री मे लक्षमी आ सरस्वतीक अपूर्व संगम... व्यवस्थाक कोनो प्रश्रे नहिं जतेक चाही... जतह कहू हम विवाह लेल प्रस्तुत भऽ जायब... एक बेर.... देखि लैतिए...हमर पोती अंधेरिया मे पूर्णिमाक चान सन्ï थीक.... बूढ़ी देखैए में बूढ़... बकलेल सन्ï लागैत छलिह......मुदा बाजऽ मे......किंस्यात धनक घमंड होयतन्हि... नव धन तऽ नहिं छन्हि?ÓÓ

माता जी किछु सोचति वृद्घा के तकैत रहलीह सुरेस अहि बीच मे चाय-नाश्ता राखि गेल छल। अहाँक अपने कोन कम्मी थीक... मुदा तैयो... बेटी वला तऽ।

''बेस... अपनेक गाम भोज पड़ोल भेल?ÓÓ

बूढ़ी खुश भऽ गेली ''हँ ऽऽऽÓÓ मुदा रमण्ीकांत बाबू किछु क्षुब्ध सन लगैत बजलाह... आब गाम-ताम सँ केकरा मतलब छै... के रहैत अछि गाम पर... आब तऽ दिल्लीवासी भेलहु... एखने जर्मनी, हालैंड आ इंगलैंड केँ टूर लगाकऽ आबि रहल छी, कतऽ सँ कतऽ जा रहल अछि ई विश्व आ एकटा अपन देश... जेना धूप में सूतल घोंघा... थाइलैंड एहेन छोट देश... ओहो... इंडिया सँ हजार गुणा निक। कोनो डिपार्टमेंटल स्टोर मे जाऊ। कत्तबो देर घूमू... किछु खरिदारी नहियों करू तखनो ओ सब किछ नहिं कहत। विंडोशॅापिंग के इज्जत छै, ओकर कहना छै, जे आय लोक समान देखऽ आयल अछि... काल्हि पैसा हेतै तऽ खरीदारी करत... दोस्त के कहत्तै... एक प्रकार सँ ओहो कस्टमर भेल... आ एतऽ इंडिया मे... दू सँ तीन चीजक दाम पूछू तऽ दुकानदार कहत... भैया ये तेरे वश की चीज नहीं। टाइम खराब करता है...ÓÓ

''मुदा भारत मे रहबाक अपन सुख छै... हम तऽ किन्नो विदेश मे नहिं बसब...ÓÓ माताजी हुनक गप्प बीचे मे काटि कऽ बजलहि... ''एतऽ के संस्कार आ जाति प्रथा, जीवैत इतिहास छैक... तखन नै... सौ बरख पहिने कैरेबियन देश त्रिनिडाड गेल भारतीय मजदूरवंशज कनिए प्रयासक बाद एतऽ खोजि निकाललक अपन, जडि़... मूल बीज... वासुदेव पांडेय... ओहि पाश्चात्य देश में जनम आ परवरिश पाबिओ कऽ भारत मे अपन जडि़ ढूढ़ऽ लेल तड़पि उठलाह।ÓÓ माताजी के हृदयक आक्रोश शब्द मे परिलक्षित भऽ उठलन्हि भोज पड़ोल क रमणीकांत नाम हुनका विगत पैंतालिस परख पाछाँ... अतीत मे धकेल देलकन्हि... घटना बड़ पुरान... मुदा... बूढ़ पुरान कÓ स्मृति मे ओ अखनो जीवित प्राय: अछि।

ओ एक गोट दुर्गापूजा क तातिल छल जाहि मे ओ गाम गेल छलथि। मिडिल स्कूल मे छलीह... चौथा मे... आÓ छठि धरि रहबाक खुशी मे हुनक हम उम्र सोनिया संगी बनि गेलन्हि। गामक प्रथानुसार ओकर विवाहक लेल हरपुर वाली काकी कहिया सँ पेटकुनिया दऽ देने रहथि। पिता परदेश मे कत्तौ विवाह केने रहै... गाम सँ कनि फराक हुनक मँडई। दादी कहैथ... नितांत... गरीब छथि ई लोक... मुदा बड़ भलमानस। हरपुरवाली के नूआ मे चप्पी ततेक रहैन्ह जे ककरा फुर्सत के गिनत... मुदा बोली एहेन मधुर जेना मौध।

दुर्गे स्थान मे सोनिया हुनका कहने छलन्हि भोज पड़ोल के सुमिरन बाबू कत्तो कलकत्ता में भनसियाक काज करैत छन्हि, हिनकर पुत्र रमणीकांत सँ ओकर विवाह लागि रहल अछि।

ओकरा बाद ओ पुन: शहर आबि गामक सोनिया के बिसरि अध्ययन मे लागि गेल छलथि... तीन बरखक बाद... दादी एकादशीक यज्ञ कऽ रहल छलीह... सब कियो जूटलै...।

भोरे भोर नींद टूटल, दादी के आवाज सँ, राम। राम। ताहि लेल लोक कहैत छै जे बेटी कँ जनमें नहिं डराय, बेटीक करमे डराय... की भेलऽ दाय...?ÓÓ ओ हड़बड़ा कऽ उठल छलीह...

''सोनिया के माए दादी के पएर पकडि़ कोढि़ फाडि़ कऽ कनैत छलहि... ओ भोजपड़ोल वला... वरक बाप... पैसा कÓ लोभ मे बेटाक विवाह... कत्तौ अनतऽ चाहैत छल...आ। दू... सौ... टाका... अपना दिस सँ दऽ कÓ दादी सोनियाक कन्यादान करौने छलीह... दाय कहैत... मोज-पड़ोल वला कुटूम बड़ नंगट। चतुर्थीए मे घीना देलकै... सायकिल लऽ रूसल... कहुतऽ घर नै घरारी... आब ओकरा घड़ी चाही...ÓÓ सोनिया के बड़ दुख दैत छै... सासो ससूर तैहने छै... चिन्ता सँ सुखा कऽ गोइठा भऽ गेलऽ छौड़ी।

... किछु दिनक बाद दादी कहलीह... ''सोनिया मरि गेलऽ... साँप काटि लेलकै... बोन मे...।ÓÓ के देखऽ गेलऽ की भेलऽ? कियो कहे माहूर खूआ कऽ मारि देलकै।

भाग्य रमणीकांत बाबू के खूब संग देलकैन्हि... सरस्वती अपन दूनू हाथ सँ कृपा लुटबति हुनका उन्नति के रास्ता पÓ बढ़बति गेलीह... पाय-पाय के लेल तरसल... रमणीकांत बाबू पाय के ईश्वर मानि लेलाह... धन सँ घर भरि गेलन्हि... अतीत सँ ओ वत्र्तमान मे, रमणीकांत बाबूक आवाज सूनि आबि गेलीह।

''हमर जेठ दामाद सेहो डाक्टर छथि... बेटी दामाद दूनू के हम अमेरिका पठा देने छी... आ 'हिनको हम एतऽ थोड़े रह देबन्हि... अमेरिका मे कि शान छै... डाक्टर के ... तऽ अपने... किछु बजलीए नहिं...ÓÓ हम एहीं मौन के स्वीकृति बुझु की ओ हँसला...

''हमरा तऽ उच्च खानदान के सुशील कन्या चाही चारिटा वस्त्र मे...ÓÓ

...रमणीबाबू अपन माएक संग माथ झुकौने जा रहल छथि... आÓ बूझि पड़ल जे वर्षो पहिने सत्त वा फुसि जे साँप सोनिया के कटने हेतैक, आए हुनक चेहरा विषाक्त कऽ देलकैन्ह...। सोनिया के प्रति कएल गेल अत्याचारक जवाब माँगऽ लेल समय जेना अपन आँखि खोलि देलेकै।

—डा. कामिनी कामायनी

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