मंगलवार, फ़रवरी 24

धरोहरि / गोलैसी

- सुधां’ाु ’शखर चैधरी

संसारमे जे सार अछि, व्यापार गोलैसी
दुनिया भरिक सभ कारमे सुख-सार गोलैसी।

प्रति योगमे अति भोगमे सभठाँ जे अछि हूसल,
तकरा ले नि’चय राखल अछि उद्धार गोलैसी।

किछु ने सकी, ध ने सकी, ल ने सकी किच्छु,
भिड़ि झटहि फांड़ ध करय उपकार गोलैसी।

निगुँटक नहि चलय आ कि डेग बढ़य एक,
गुटबाजकेँ सभ किछु देअय अनिवार गोलैसी।

ई’र्यामे छुच्छे पाकि क ने लोभ आर लाभ,
जे कतहु न भेटय, भेटय दरबार गोलैसी।

पूछी तँ आई पुण्य-स्थल बड़का टा बनल अछि,
जादू ते अनतय चलि ने सकय चमकार गोलैसी।

केहनो पहाड़ खसय आ मरि जाय बड़ अयोध,
जँ देअय बड़े जोरसँ ललकार गोलैसी।

( नोट - धरोहरि स्तंभक अंतर्गत हमर सभहक प्रयास अछि जे मैथिलीक नामचीन लेखक रचना सँ पाठक लोकनि केँ साक्षात्कार कराओल जाए। ताहिं एहि मादे साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता स्व. सुधां’ाु ोखर चैधरीक ई रचना प्रस्तुत कयल जा रहल अछि। आगाँ दोसरों लेखकक लेखनी सँ जल्दीए संपर्क कराओल जाएत। - संपादक )

1 टिप्पणी:

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति,अच्छा लगा पढ़कर ,